स्तोत्र ग्रन्थ
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स्तोत्र 110
1 प्रभु ने मेरे प्रभु ने कहा: “तुम मेरे दाहिने बैठ जाओ। मैं तुम्हारे शत्रुओं को तुम्हारा पावदान बना दूँगा।”
2 ईश्वर सियोन से आपके राज्याधिकार का विस्तार करेगा। आप दूर तक अपने शत्रुओं के देश पर शासन करेंगे।
3 आपकी सेना के संघटन के दिन आपकी प्रजा आपका साथ देगी। आपके सैनिक सुसज्जित हो कर प्रभात की ज्योति में ओस की तरह चमकेंगे।
4 ईश्वर की यह शपथ अपरिवर्तनीय है “तुम मेलखीसेदेक की तरह सदा पुरोहित बने रहोगे”।
5 ईश्वर आपके दाहिने विराजमान है। जिस दिन राजा का क्रोध भड़क उठेगा, वह अन्य राजाओं को कुचल देंगे।
6 वह अन्य राष्ट्रों का न्याय करेंगे, असंख्य लोगों का वध करेंगे और पृथ्वी भर में उनका सर्वनाश करेंगे।
7 वह मार्ग में जलस्रोत का पानी पी कर अपना सिर ऊँचा करेंगे।