स्तोत्र ग्रन्थ

अध्याय : 1234567891011121314151617181920212223242526272829303132333435363738394041424344454647484950515253 54555657585960616263646566676869707172737475767778798081828384858687888990919293949596979899100101102103104105106107108109 110111112113114115116117118119120121122123124125126127128129130131132133134135136137138139140141142143144145146147148149150पवित्र बाईबल

स्तोत्र 122

1 मैं यह सुन कर आनन्दित हो उठाः “आओ! हम ईश्वर के मन्दिर चलें”।

2 येरूसालेम! अब हम पहुँचे हैं, हमने तेरे फाटकों में प्रवेश किया है।

3 एक सुसंघटित नगर के रूप में येरूसालेम का निर्माण हुआ है।

4 यहाँ इस्राएल के वंश, प्रभु के वंश आते हैं। वे ईश्वर का स्तुतिगान करने आते हैं, जैसा कि इस्राएल को आदेश मिला है।

5 यहाँ न्याय के आसन, दाऊद के वंश के आसन संस्थापित हैं।

6 येरूसालेम के लिए शान्ति का यह वरदान माँगो: “जो तुझ को प्यार करते हैं, वे सुखी हों।

7 तेरी चारदीवारी में शान्ति बनी रहे! तेरे भवनों में सुरक्षा हो!”

8 मेरे भाई और मित्र यहाँ रहते हैं, इसलिए कहता हूँ: “तुझ में शान्ति बनी रहे”।

9 हमारा प्रभु-ईश्वर यहाँ निवास करता है, इसलिए मैं तेरे कल्याण की मंगलकामना करता हूँ।