स्तोत्र ग्रन्थ

अध्याय : 1234567891011121314151617181920212223242526272829303132333435363738394041424344454647484950515253 54555657585960616263646566676869707172737475767778798081828384858687888990919293949596979899100101102103104105106107108109 110111112113114115116117118119120121122123124125126127128129130131132133134135136137138139140141142143144145146147148149150पवित्र बाईबल

स्तोत्र 123

1 मैंने तेरी ओर आँखें उठायी, तेरी ओर, जो स्वर्ग में विराजमान है।

2 जिस तरह दासों की आँखें स्वामी के हाथ पर टिकी रहती हैं, जिस तरह दासी की आँखें स्वामिनी के हाथ पर टिकी रहती हैं, उसी तरह जब तक प्रभु-ईश्वर दया न करे, हमारी आँखें उस पर टिकी हुई हैं।

3 हम पर दया कर, प्रभु! हम पर दया कर! हम तिरस्कार सहते-सहते तंग आ गये हैं।

4 हमारी आत्मा धनियों के उपहास और घमण्डियों के तिरस्कार से तंग आ गयी है।