स्तोत्र ग्रन्थ

अध्याय : 1234567891011121314151617181920212223242526272829303132333435363738394041424344454647484950515253 54555657585960616263646566676869707172737475767778798081828384858687888990919293949596979899100101102103104105106107108109 110111112113114115116117118119120121122123124125126127128129130131132133134135136137138139140141142143144145146147148149150पवित्र बाईबल

स्तोत्र 124

1 यदि प्रभु ने हमारा साथ नहीं दिया होता- इस्राएल यह दोहराये-

2 यदि प्रभु ने हमारा साथ नहीं दिया होता, तो जब लोगों ने हम पर चढ़ाई की

3 और हम पर उनका क्रोध भड़का, तब वे हमें जीवित ही निगल गये होते।

4 बाढ हमें डुबा गयी होती, प्रचण्ड धारा ने हमें बहा दिया होता

5 और चारों ओर उमड़ती लहरों में हम डूब कर मर गये होते।

6 धन्य है प्रभु! उसने हमें उनके दाँतों का शिकार नहीं होने दिया।

7 हमारी आत्मा, पक्षी की तरह, बहेलिये के फन्दे से निकल गयी है। फन्दा टूट गया और हम निकल भागे।

8 प्रभु का नाम ही हमारा सहारा है। उसने स्वर्ग और पृथ्वी को बनाया है।