संत मत्ती के अनुसार सुसमाचार

अध्याय: 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 पवित्र बाईबल

अध्याय 3

1 उन दिनों योहन बपतिस्ता प्रकट हुआ, जो यहूदिया के निर्जन प्रदेश में यह उपदेश देता था,

2 “पश्चात्ताप करो। स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है।”

3 यह वही था, जिसके विषय में नबी इसायस ने कहा था, निर्जन प्रदेश में पुकारने वाले की आवाज़- प्रभु का मार्ग तैयार करो; उसके पथ सीधे कर दो।

4 योहन ऊँट के रोओं का कपड़ा पहने और कमर में चमड़े का पट्टा बाँधे रहता था। उसका भोजन टिड्डियाँ और वन का मधु था।

5 येरुसालेम, सारी यहूदिया और समस्त यर्दन प्रान्त के लोग योहन के पास आते

6 और अपने पाप स्वीकार करते हुए यर्दन नदी में उस से बपतिस्मा ग्रहण करते थे।

7 बहुत-से फ़रीसियों और सदूकियों को बपतिस्मा के लिए आते देख कर योहन ने उन से कहा, “साँप के बच्चो! किसने तुम लोगों को आगामी कोप से भागने के लिए सचेत किया?

8 पश्चात्ताप का उचित फल उत्पन्न करो

9 और यह न सोचा करो- ‘हम इब्राहीम की सन्तान हैं’। मैं तुम लोगों से कहता हूँ- ईश्वर इन पत्थरों से इब्राहीम के लिए सन्तान उत्पन्न कर सकता है।

10 अब पेड़ों की जड़ में कुल्हाड़ा लग चुका है। जो पेड़ अच्छा फल नहीं देता, वह काटा और आग में झोंक दिया जायेगा।

11 मैं तो तुम लोगों को जल से पश्चात्ताप का बपतिस्मा देता हूँ; किन्तु जो मेरे बाद आने वाले हैं, वे मुझ से अधिक शक्तिशाली हैं। मैं उनके जूते उठाने योग्य भी नहीं हूँ। वे तुम्हें पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देंगे।

12 वे हाथ में सूप ले चुके हैं, जिससे वे अपना खलिहान ओसा कर साफ़ करें। वे अपना गेहूँ बखार में जमा करेंगे। वे भूसी को न बुझने वाली आग में जला देंगे।”

13 उस समय, ईसा योहन से बपतिस्मा लेने के लिए गलीलिया से यर्दन के तट पहुँचे।

14 योहन ने यह कहते हुए उन्हें रोकना चाहा, “मुझे तो आप से बपतिस्मा लेने की ज़रूरत है और आप मेरे पास आते हैं?”

15 परन्तु ईसा ने उसे उत्तर दिया, “अभी ऐसा ही होने दीजिए। यह हमारे लिए उचित है कि हम इस तरह धर्मविधि पूरी करें।” इस पर योहन ने ईसा की बात मान ली।

16 बपतिस्मा के बाद ईसा तुरन्त जल से बाहर निकले। उसी समय स्वर्ग खुल गया और उन्होंने ईश्वर के आत्मा को कपोत के रूप में उतरते और अपने ऊपर ठहरते देखा

17 और स्वर्ग से यह वाणी सुनाई दी, “यह मेरा प्रिय पुत्र है। मैं इस पर अत्यन्त प्रसन्न हूँ।”