संत मत्ती के अनुसार सुसमाचार
अध्याय: 1 • 2 • 3 • 4 • 5 • 6 • 7 • 8 • 9 • 10 • 11 • 12 • 13 • 14 • 15 • 16 • 17 • 18 • 19 • 20 • 21 • 22 • 23 • 24 • 25 • 26 • 27 • 28 • पवित्र बाईबल
अध्याय 24
1 ईसा, मन्दिर से निकल कर, चले जा रहे थे कि उनके शिष्य उनके पास आये और उन्होंने मन्दिर की इमारतों की ओर उनका ध्यान आकर्षित किया।
2 ईसा ने उन से कहा, “तुम यह सब देख रहे हो न? मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ, यहाँ एक पत्थर पर दूसरा पत्थर पड़ा नहीं रहेगा- सब ढा दिया जायेगा।”
3 जब ईसा जैतून पहाड़ पर पहुँच कर बैठ गये, तो शिष्य एकान्त में उनके पास आये और बोले, “हमें बताइए, यह कब होगा? आपके आगमन और युग के अन्त का चिन्ह क्या होगा?”
4 ईसा ने उन्हें उत्तर दिया, “सावधान रहो। तुम्हें कोई नहीं बहकाये,
5 क्योंकि बहुत-से लोग मेरा नाम ले कर आयेंगे और कहेंगे- मैं मसीह हूँ, और वे बहुतों को बहका देंगे।
6 तुम युद्धों की चरचा सुनोगे और युद्धों के बारे में अफ़वाहें सुनोगे। इस से नहीं घबराओगे, क्योंकि ऐसा हो जाना अनिवार्य है। परन्तु यही अन्त नहीं है।
7 राष्ट्र के विरुद्ध राष्ट्र उठ खड़ा होगा और राज्य के विरुद्ध राज्य। जहाँ-तहाँ अकाल, महामारियाँ और भूकम्प होते रहेंगे।
8 यह सब विपत्तियों का आरम्भ मात्र होगा।
9 “उस समय लोग तुम्हें पकड़वा कर घोर यन्त्रणा देंगे और मार डालेंगे। मेरे नाम के कारण सब राष्ट्र तुम से बैर करेंगे।
10 तब बहुत-से लोग विचलित हो जायेंगे। वे एक दूसरे को पकड़वायेंगे और एक दूस़रे से बैर करेंगे।
11 बहुत-से झूठे नबी प्रकट होंगे और बहुतों कों बहकायेंगे।
12 अधर्म बढ़ने से लोगों में प्रेम-भाव घट जायेगा,
13 किन्तु जो अन्त तक धीर बना रहेगा, उसी को मुक्ति मिलेगी।
14 सारे संसार में राज्य के इस सुसमाचार का प्रचार किया जायेगा, जिससे सब राष्ट्रों को इसका साक्ष्य मिले और तब अन्त आ जायेगा।
15 “जब तुम लोग मन्दिर में उजाड़ का वह वीभत्स दृश्य देखोगे, जिसकी चरचा नबी दानिएल ने की- पढ़ने वाला समझ ले-
16 तो, जो लोग यहूदिया में हों, वे पहाड़ों पर भाग जायें;
17 जो छत पर हो, वह अपने घर का समान लेने नीचे न उतरे;
18 जो खेेत में हो, वह अपनी चादर ले आने के लिए न लौटे।
19 उनके लिए शोक, जो उन दिनों गर्भवती या दूध पिलाती होंगी!
20 प्रार्थना करो कि तुम लोगों को जाड़े के समय अथवा विश्राम के दिन को भागना न पड़े;
21 क्योंकि उन दिनों ऐसा घोर संकट होगा, जैसा संसार के आरम्भ से अब तक न कभी हुआ है और न कभी होगा।
22 यदि वे दिन घटाये न जाते, तो कोई प्राणी नहीं बचता; किन्तु चुने हुए लोगों के कारण वे दिन घटा दिये जायेंगे।
23 “यदि उस समय कोई तुम लोगों से कहें, ’देखो! मसीह यहाँ हैं’ अथवा ’वह वहाँ हैं’, तो विश्वास नहीं करोगे;
24 क्योंकि झूठे मसीह तथा झूठे नबी प्रकट होंगे और ऐसे महान् चिन्ह तथा चमत्कार दिखायेंगे कि यदि सम्भव होता, तो वे चुने हुए लोगों को भी बहकाते।
25 देखो, मैंने तुम्हें पहले ही सचेत किया है।
26 “यदि वे तुम लोगों में से हैं, ’देखो, वह निर्जन प्रदेश में हैं’, तो वहाँ नहीं जाओगे; अथवा, ’वह यहाँ कोठरी में है, तो विश्वास नहीं करोगे; क्योंकि
27 जैसे बिजली पूर्व से निकल कर पश्चिम तक चमकती है, वैसे ही मानव पुत्र का आगमन होगा।
28 “जहाँ कहीं लाश होगी, वहाँ गीध इकट्ठे हो जायेंगे।
29 “उन दिनों के संकट के तुरन्त बाद सूर्य अन्धकारमय हो जायेगा, चन्द्रमा प्रकाश नहीं देगा, तारे आकाश से गिर जायेंगे और आकाश की शक्तियाँ विचलित हो जायेंगी।
30 तब आकाश में मानव पुत्र का चिन्ह दिखाई देगा। पृथ्वी के समस्त राष्ट्र छाती पीटेंगे और मानव पुत्र को अपार सामर्थ्य और महिमा के साथ आकाश के बादलों पर आते हुए देखेंगे।
31 वह तुरही की तुमुल ध्वनि के साथ अपने दूतों को भेजेगा और वे चारों दिशाओं से, आकाश के कोने-कोन से, उसके चुने हुए लोगों को एकत्र करेंगे।
32 “अंजीर के पेड़ से शिक्षा लो। जब उसकी टहनियाँ बन जाती हैं और उन में अंकुर फूटने लगते हैं, तो तुम जान जाते हो कि गरमी आ रही है।
33 इसी तरह जब तुम लोग यह सब देखोगे, तो जान लो कि वह निकट है, द्वार पर ही है।
34 मैं तुम से यह कहता हूँ कि इस पीढ़ी का अन्त हो जाने के पूर्व ही ये सब बातें घटित हो जायेंगी।
35 आकाश और पृथ्वी टल जायें, तो टल जायें, परन्तु मेरे शब्द नहीं टल सकते।
36 “उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता- न तो स्वर्ग के दूत और न पुत्र। केवल पिता ही जानता है।
37 “जो नूह के दिनों में हुआ था, वही मानव पुत्र के आगमन के समय होगा।
38 जलप्रलय के पहले, नूह के जहाज़ पर चढ़ने के दिन तक, लोग खाते-पीते और शादी-ब्याह करते रहे।
39 जब तक जलप्रलय नहीं आया और उसने सब को बहा नहीं दिया, तब तक किसी को इसका कुछ भी पता नहीं था। मानव पुत्र के आगमन के समय वैसा ही होगा।
40 उस समय दो पुरुष खेत में होंगे- एक उठा लिया जायेगा और दूसरा छोड़ दिया जायेगा।
41 दो स्त्रियाँ चक्की पीसती होंगी- एक उठा ली जायेगी और दूसरी छोड़ दी जायेगी।
42 “इसलिए जागते रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि तुम्हारे प्रभु किस दिन आयेंगे।
43 यह अच्छी तरह समझ लो- यदि घर के स्वामी को मालूम होता कि चोर रात के किस पहर आयेगा, तो वह जागता रहता और अपने घर में सेंध लगने नहीं देता।
44 इसलिए तुम लोग भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी तुम उसके आने की नहीं सोचते, उसी घड़ी मानव पुत्र आयेगा।
45 “कौन ऐसा ईमानदार और बुद्धिमान् सेवक है, जिसे उसके स्वामी ने अपने नौकर-चाकरों पर नियुक्त किया है, ताकि वह समय पर उन्हें रसद बाँटा करे?
46 धन्य है वह सेवक, जिसका स्वामी आने पर उसे ऐसा करता हुआ पायेगा!
47 मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ- वह उसे अपनी सारी सम्पत्ति पर नियुक्त करेगा।
48 “परन्तु यदि वह बेईमान सेवक अपने मन में कहे, ‘मेरा स्वामी आने में देर करता है’
49 और वह दूसरे नौकरों को पीटने और शराबियों के साथ खाने-पीने लगे,
50 तो उस सेवक का स्वामी ऐसे दिन आयेगा, जब वह उसकी प्रतिक्षा नहीं कर रहा होगा और ऐसी घड़ी, जिसे वह नहीं जान पायेगा।
51 तब वह स्वामी उसे कोड़े लगवायेगा और ढोंगियों का दण्ड देगा। वहाँ वे लोग रोयेंगे और दाँत पीसते रहेंगे।