चक्र – अ, आगमन का तीसरा इतवार

📒 पहला पाठ :इसायाह 35:1-6अ,10

1) मरुस्थल और निर्जल प्रदेश आनन्द मनायें। उजाड़ भूमि हर्शित हो कर फले-फूले,

2) वह कुमुदिनी की तरह खिल उठे, वह उल्लास और आनन्द के गीत गाये। उसे लेबानोन का गौरब दिया गया है, करमेल तथा शारोन की शोभा। लोग प्रभु की महिमा तथा हमारे ईश्वर के प्रताप के दर्शन करेंगे।

3 थके-माँदे हाथों को शक्ति दो, निर्बल पैरों को सुदढ़ बना दो।

4) घबराये हुए लोगों से कहो- “ढारस रखों डरो मत! देखो, तुम्हारा ईश्वर आ रहा है। वह बदला चुकाने आता है, वह प्रतिशोध लेने आता है, वह स्वयं तुम्हें बचाने आ रहा है।“

5) तब अन्धों की आँखें देखने और बहरों के कान सुनने लगेंगे। लँगड़ा हरिण की तरह छलाँग भरेगा। और गूँगे की जीभ आनन्द का गीत गायेगी।

6) मरुस्थल में जल की धाराएँ फूट निकलेंगी, रेतीले मैदानों में नदियाँ बह जायेंगी,

10) प्रभु ने जिन्हें मुक्त कर दिया है, वे ही उस पर लौटेंगे। वे गाते-बजाते हुए सियोन लौटेंगे, उनके मुख पर अपार आनन्द खिल उठेगा। वे हर्ष और उल्लास के साथ लौटेंगे। दुःख और विलाप का अन्त हो जायेगा।

📒 दूसरा पाठ : याकूब 5:7-10

7) भाइयों। प्रभु के आने तक धैर्य रखें। किसान को देखें, जो खेत की कीमती फसल की बाट जोहता है। उसे प्रथम और अन्तिम वर्षा के आने तक धैर्य रखना पड़ता है।

8) आप लोग भी धैर्य रखें। हिम्मत न हारें, क्योंकि प्रभु का आगमन निकट है।

9) भाइयो! एक दूसरे की शिकायत न करें, जिससे आप पर दोष न लगाया जाये। देखिए, न्यायकर्ता द्वार पर खड़े हैं।

10) भाइयो! जो नबी प्रभु के नाम पर बोले हैं, उन्हें सहिष्णुता तथा धैर्य का अपना आदर्श समझें।

📙 सुसमाचार : मत्ती 11:2-11

2) योहन ने, बन्दीगृह में मसीह के कार्यों की चरचा सुन कर, अपने शिष्यों को उनके पास यह पूछने भेजा,

3) “क्या आप वही हैं, जो आने वाले हैं या हम किसी और की प्रतीक्षा करें?”

4) ईसा ने उन्हें उत्तर दिया, “जाओ, तुम जो सुनते और देखते हो, उसे योहन को बता दो –

5) अंधे देखते हैं, लँगड़े चलते हैं, कोढ़ी शुद्ध किये जाते हैं, बहरे सुनते हैं, मुरदे जिलाये जाते हैं, दरिद्रों को सुसमाचार सुनाया जाता है,

6) और धन्य है वह, जिसक़ा विश्वास मुझ पर से नहीं उठता!”

7) वे विदा हो ही रहे थे कि ईसा जनसमूह से योहन के विषय में कहने लगे, “तुम लोग निर्जन प्रदेश में क्या देखने गये थे? हवा से हिलते हुए सरकण्डे को? नहीं!

8) तो, तुम क्या देखने गये थे? बढि़या कपड़े पहने मनुष्य को? बढि़या कपड़े पहनने वाले राजमहलों में रहते हैं।

9) आखिर क्यों निकले थे? नबी को देखने के लिए? निश्चय ही! मैं तुम से कहता हूँ, नबी से भी महान् व्यक्ति को।

10) यह वही है, जिसके विषय में लिखा है- देखो, मैं अपने दूत को तुम्हारे आगे भेजता हूँ। वह तुम्हारे आगे तुम्हारा मार्ग तैयार करेगा।

11) मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ – मनुष्यों में योहन बपतिस्ता से बड़ा कोई पैदा नहीं हुआ। फिर भी, स्वर्ग राज्य में जो सबसे छोटा है, वह योहन से बड़ा है।