19 जनवरी 2023, सामान्य काल का दूसरा सप्ताह, गुरुवार

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📒 पहला पाठ : इब्रानियो 7:25-8:‍6

25) यही कारण है कि जो लोग उनके द्वारा ईश्वर की शरण लेते हैं, वह उन्हें परिपूर्ण मुक्ति दिलाने में समर्थ हैं; क्योंकि वे उनकी ओर से निवेदन करने के लिए सदा जीवित रहते हैं।

26) यह उचित ही था कि हमें इस प्रकार का प्रधानयाजक मिले- पवित्र, निर्दोष, निष्कलंक, पापियों से सर्वथा भिन्न और स्वर्ग से भी ऊँचा।

27) अन्य प्रधानयाजक पहले अपने पापों और बाद में प्रजा के पापों के लिए प्रतिदिन बलिदान चढ़ाया करते हैं। ईसा को इसकी आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि उन्होंने यह कार्य एक ही बार में उस समय पूरा कर लिया, जब उन्होंने अपने को बलि चढ़ाया।

28) संहिता जो दुर्बल मनुष्यों को प्रधानयाजक नियुक्त करती है, किन्तु संहिता के समाप्त हो जाने के बाद ईश्वर की शपथ के अनुसार वह पुत्र पुरोहित नियुक्त किया जाता है, जिसे सदा के लिए परिपूर्ण बना दिया है।

8:1) इन बातों का सारांश यह है- हमारा एक ऐसा, प्रधानयाजक है, जो स्वर्ग में महामहिम के सिंहासन की दाहिनी ओर विराजमान हो कर

2) उस वास्तविक मन्दिर तथा तम्बू का सेवक है, जो मनुष्य द्वारा नहीं, बल्कि प्रभु द्वारा संस्थापित है।

3) प्रत्येक प्रधानयाजक भेंट और बलि चढ़ाने के लिए नियुक्त है, इसलिए यह आवश्यक है कि उसके पास चढ़ावे के लिए कुछ हो।

4) यदि ईसा अब तक पृथ्वी पर रहते, तो वे याजक भी नहीं होते; क्योंकि संहिता के अनुसार भेंट चढ़ाने के लिए याजक विद्यमान है,

5) यद्यपि वे एक ऐसे मन्दिर में सेवा करते हैं, जो स्वर्ग की वास्तविकता की प्रतिकृति और छाया मात्र है। यही कारण है कि जब मूसा तम्बू का निर्माण करने वाले थे, तो उन्हें ईश्वर की ओर से यह आदेश मिला-सावधान रहो; जो नमूना तुम्हें पर्वत पर दिखाया गया, उसी के अनुसार तुम सब कुछ बनाओ।

6) अब, जो धर्मसेवा मसीह को मिली है, वह कहीं अधिक ऊँची है; क्योंकि वे एक ऐसे विधान के मध्यस्थ हैं; जो श्रेष्ठतर है और श्रेष्ठतर प्रतिज्ञाओं पर आधारित हैं।

📚 सुसमाचार : मारकुस 3:7-12

7) ईसा अपने शिष्यों के साथ समुद्र के तट गये। गलीलिया का एक विशाल जनसमूह उनके पीछे-पीछे हो लिया। यहूदिया,

8) येरुसालेम, इदूमैया, यर्दन के उस पार, और तीरूस तथा सीदोन के आस-पास से भी बहुत-से लोग उनके पास इकट्ठे हो गये; क्योंकि उन्होंने उनके कार्यों की चर्चा सुनी थी।

9) भीड़ के दबाव से बचने के लिए ईसा ने अपने शिष्यों से कहा कि वे एक नाव तैयार रखें;

10) क्योंकि उन्होंने बहुत-से लोगों को चंगा किया था और रोगी उनका स्पर्श करने के लिए उन पर गिरे पड़ते थे।

11) अशुद्ध आत्मा ईसा को देखते ही दण्डवत् करते और चिल्लाते थे-“आप ईश्वर के पुत्र हैं”;

12) किन्तु वह उन्हें यह चेतावनी देते थे कि तुम मुझे व्यक्त मत करो।