सूक्ति-ग्रन्थ
अध्याय : 1 • 2 • 3 • 4 • 5 • 6 • 7 • 8 • 9 • 10 • 11 • 12 • 13 • 14 • 15 • 16 • 17 • 18 • 19 • 20 • 21 • 22 • 23 • 24 • 25 • 26 • 27 • 28 • 29 • 30 • 31
अध्याय 7
1 पुत्र! मेरे शब्दों को याद करो। मेरी आज्ञाओं को अपने हृदय में सँजोये रखो।
2 मेरी आज्ञाओें का पालन करो और तुम जीते रहोगे। आँख की पुतली की तरह मेरी शिक्षा को सुरक्षित रखो।
3 उन्हें अपनी उँगलियों में बाँध लो; उन्हे अपने हृदय के पटल पर अंकित करो।
4 प्रज्ञा से यह कहो, “तू मेरी बहन है”। समझदारी को अपनी कुटुम्बिनी समझो।
5 वे तुम की परस्त्री के जाल से, व्यभिचारिणी के सम्मोहक वचनों से बचायेंगी।
6 एक दिन मैंने अपने घर की खिड़की से, अपने झरोखे से बाहर झाँका।
7 मैंने भोले जवानों की भीड़ में एक नासमझ युवक को देखा।
8 वह नुक्कड़ पर गली में घुसा और उस स्त्री के घर की ओर आगे बढ़ रहा था।
9 उस समय दिन का प्रकाश धुँधला रहा था; रात का अँधेरा गहरा होता जा रहा था।
10 वह स्त्री वेश्या-जैसे कपड़े पहने निर्लज्ज हो कर उस से मिलने आयी।
11 वह चंचल और उच्छृंखल है; उसके पैर घर में नहीं टिकते।
12 कभी गली में, कभी बाज़ार में, वह हर नुक्कड़ पर घात में रहती है।
13 वह उस युवक से लिपट कर उसका चुम्बन करती और निर्लज्जता से उस से यह कहती है:
14 “मैं शान्ति-बलि चढ़ा चुकी हूँ। मैं अपनी मन्नतें पूरी कर चुकी हूँ।
15 इसलिए मैं तुम से भेंट करने बाहर निकली और तुम मुझे मिल गये।
16 मैंने मिस्र की रंगीन छालटी से अपना बिस्तर सजाया है।
17 मैंने अपनी शय्या को गन्धरस, अगरू और दारचीनी से सींचा है।
18 आओ, हम सबेरे तक रमण करें, प्रेम का उत्सव मनाते रहें।
19 मेरा पति घर पर नहीं है। वह एक लम्बी यात्रा पर बाहर है।
20 वह रूपये से भरी थैली ले कर चला गया और पूर्णिमा तक नहीं लौटेगा।”
21 वह मीठी-मीठी बातों से उसे पथभ्रष्ट करती है। वह सम्मोहक शब्दों से उसे बहकाती है।
22 वह तुरन्त उसके पीछे हो लेता है- बैल की तरह, जिसे कसाईख़ाना ले जाया जा रहा है; हरिण की तरह, जो फन्दे पर पैर रखता,
23 जिसका शरीर बाण से बेधा जाता है; पक्षी की तरह, जो जाल की ओर बढ़ता और नहीं जानता कि उसे जीवन से हाथ धोना पड़ेगा।
24 पुत्र! मेरी बात सुनो; मेरे वचनों पर ध्यान दो।
25 तुम्हारा हृदय उसके मार्ग पर न चले। तुम उसके पथ पर मत भटको।
26 उसने कितने ही लोगों को पथभ्रष्ट किया; उसने कितने ही लोगों का सर्वनाश किया।
27 उसका घर अधोलोक का मार्ग है; वह मृत्यु के अन्धकारमय घर की ओर ले जाता है।