अप्रैल 01, 2023, शनिवार

चालीसे का पाँचवाँ सप्ताह

📒 पहला पाठ : एज़ेकिएल 37:21-28

21) और उन से कहो: प्रभु-ईश्वर यह कहता है- मैं इस्राएलियों को उन राष्ट्रों में से इकट्ठा करूँगा, जहाँ वे चले गये हैं। मैं उन्हें चारों दिशाओं से इकट्ठा करूँगा और उन्हें उनकी निजी भूमि वापस ले जाऊँगा।

22) मैं अपने देश में तथा इस्राएल के पर्वतों पर उन्हें एक राष्ट्र बना दूँगा और एक ही राजा उन सब का राजा होगा। वे अब से न तो दो राष्ट्र होंगे और न दो राज्यों में विभाजित।

23) वे फिर घृणास्पद मूर्तिपूजा और अधर्म से अपने को दूशित नहीं करेंगे। उन्होंने मरे साथ कितनी बार विश्वासघात किया! फिर भी मैं उन सब पापों से उन्हें छुडाऊँगा और शुद्ध करूँगा वे मेरी प्रजा होंगे और मैं उनका ईश्वर होऊँगा।

24) मेरा सेवक दाऊद उनका राजा बनेगा आर उन सबों का एक ही चरवाहा होगा। वे मरे नियमों पर चलेंगे और मेरी आज्ञाओं को विधिवत् पालन करेंगे।

25) वे और उनके पुत्र-पौत्र सदा-सर्वदा अपने पूर्वजों के देश में निवास करेंगे, जिस मैंने अपने सेवक याकूब को दे दिया है। मेरा सेवक दाऊद सदा के लिए उनका राजा होगा।

26) मैं उनके लिए शांति का विधान निर्धारित करूँगा, एक ऐसा विधान, जो सदा बना रहेंगा। मैं उन्हें फिर बसाऊँगा, उनकी संख्या बढाऊँगा और उनके बीच सदा के लिए अपना मन्दिर बनाऊँगा।

27) मैं उनके बीच निवास करूँगा, मैं उनका ईश्वर होऊँगा और वे मेरी प्रजा होंगे।

28) जब मेरा मंदिर सदा के लिए उनके बीच स्थापित होगा, तब सभी राष्ट्र यह जान जायेंगे कि मैं प्रभु हूँ, जो इस्राएल को पवित्र करता है।”

📚 सुसमाचार : सन्त योहन 11:45-56

45) जो यहूदी मरियम से मिलने आये थे और जिन्होंने ईसा का यह चमत्कार देखा, उन में से बहुतों ने उन में विश्वास किया।

46) पंरतु उन में से कुछ लोगों ने फरीसियों के पास जाकर बताया कि ईसा ने क्या किया था।

47) तब महायाजकों और फरीसियों ने महासभा बुलाकर कहा “हम क्या करें? वह मनुष्य बहुत से चमत्कार दिखा रहा है।

48) यदि हम उसे ऐसा करते रहने देंगे, तो सभी उस में विश्वास करेंगे ओर रोमन लोग आकर हमारा मन्दिर और हमारा राष्ट्र नष्ट कर देंगे।”

49) उन में से एक ने जिसका नाम केफस था और जो उस वर्ष प्रधान याजक था उन से कहा, “आप लोगो की बुद्वि कहाँ हैं?

50) आप यह नही समझते कि हमारा कल्याण इस में है कि जनता के लिये एक ही मनुष्य मरे और समस्त राष्ट्र का सर्वनाश न हो।

51) उसने यह बात अपनी ओर से नहीं कही। उसने उस वर्ष के प्रधानयाजक के रूप में भविष्यवाणी की कि ईसा राष्ट्र के लिये मरेंगे

52) और न केवल राष्ट्र के लिये बल्कि इसलिये भी कि वे ईश्वर की बिखरी हुई संतान को एकत्र कर लें।

53) उसी दिन उन्होनें ईसा को मार डालने का निश्चय किया।

54) इसलिये ईसा ने उस समय से यहूदियों के बीच प्रकट रूप से आना-जाना बन्द कर दिया। वे निर्जन प्रदेश के निकटवर्ती प्रांत के एफ्राइम नामक नगर गये और वहाँ अपने शिष्यों के साथ रहने लगे।

55) यहूदियों का पास्का पर्व निकट था। बहुत से लोग पास्का से पहले शुद्वीकरण के लिये देहात से येरुसालेम आये।

56) वे ईसा को ढूढ़ते थे और मन्दिर में आपस में कहते थे “आपका क्या विचार है? क्या वह पर्व के लिये नहीं आ रहे हैं?”