मई 21, 2023, इतवार

प्रभु का स्वर्गारोहण

📒 पहला पाठ : प्रेरित-चरित 1:1-11

1 थेओफिलुस! मैंने अपनी पहली पुस्तक में उन सब बातों का वर्णन किया,

2) जिन्हें ईसा उस दिन तक करते और सिखाते रहे जिस दिन वह स्वर्ग में आरोहित कर लिये गये। उस से पहले ईसा ने अपने प्रेरितों को, जिन्हें उन्होंने स्वयं चुना था, पवित्र आत्मा द्वारा अपना कार्य सौंप दिया।

3) ईसा ने अपने दुःख भोग के बाद उन प्रेरितों को बहुत से प्रमाण दिये कि वह जीवित हैं। वह चालीस दिन तक उन्हें दिखाई देते रहे और उनके साथ ईश्वर के राज्य के विषय में बात करते रहे।

4) ईसा ने प्रेरितों के साथ भोजन करते समय उन्हें आदेश दिया कि वे येरुसालेम नहीं छोड़े, बल्कि पिता ने जो प्रतिज्ञा की, उसकी प्रतीक्षा करते रहें। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने तुम लोगों को उस प्रतिज्ञा के विषय में बता दिया है।

5) योहन जल का बपतिस्मा देता था, परन्तु थोड़े ही दिनों बाद तुम लोगों को पवित्र आत्मा का बपतिस्मा दिया जायेगा’’।

6) जब वे ईसा के साथ एकत्र थे, तो उन्होंने यह प्रश्न किया- ‘‘प्रभु! क्या आप इस समय इस्राएल का राज्य पुनः स्थापित करेंगे ?’’

7) ईसा ने उत्तर दिया, ‘‘पिता ने जो काल और मुहूर्त अपने निजी अधिकार से निश्चित किये हैं, तुम लोगों को उन्हें जानने का अधिकार नहीं है।

8) किन्तु पवित्र आत्मा तुम लोगों पर उतरेगा और तुम्हें सामर्थ्य प्रदान करेगा और तुम लोग येरुसालेम, सारी यहूदिया और सामरिया में तथा पृथ्वी के अन्तिम छोर तक मेरे साक्षी होंगे।’’

9) इतना कहने के बाद ईसा उनके देखते-देखते आरोहित कर लिये गये और एक बादल ने उन्हें शिष्यों की आँखों से ओझल कर दिया।

10) ईसा के चले जाते समय प्रेरित आकाश की ओर एकटक देख ही रहे थे कि उज्ज्वल वस्त्र पहने दो पुरुष उनके पास अचानक आ खड़े हुए और

11) बोले, ‘‘गलीलियो! आप लोग आकाश की ओर क्यों देखते रहते हैं? वही ईसा, जो आप लोगों के बीच से स्वर्ग में आरोहित कर दिये गये हैं, उसी तरह लौटेंगे, जिस तरह आप लोगों ने उन्हें जाते देखा है।’’

📕 दूसरा पाठ : एफ़ेसियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 1:17-23

17) महिमामय पिता, हमारे प्रभु ईसा मसीह का ईश्वर, आप लोगों को प्रज्ञा तथा आध्यात्मिक दृष्टि प्रदान करे, जिससे आप उसे सचमुच जान जायें।

18) वह आप लोगों के मन की आँखों को ज्योति प्रदान करे, जिससे आप यह देख सकें कि उसके द्वारा बुलाये जाने के कारण आप लोगों की आशा कितनी महान् है और सन्तों के साथ आप लोगों को जो विरासत मिली है, वह कितनी वैभवपूर्ण तथा महिमामय है,

19) और हम विश्वासियों के कल्याण के लिए सक्रिय रहने वाले ईश्वर का वही सामर्थ्य कितना अपार है।

20) ईश्वर ने मसीह वही सामर्थ्य प्रदर्शित किया, जब उसने मृतकों में से उन्हें पुनर्जीवित किया और स्वर्ग में अपने दाहिने बैठाया।

21) स्वर्ग में कितने ही प्राणी क्यों न हों और उनका नाम कितना ही महान् क्यों न हो, उन सब के ऊपर ईश्वर ने इस युग के लिए और आने वाले युग के लिए मसीह को स्थान दिया।

22) उसने सब कुछ मसीह के पैरों तले डाल दिया और उन को सब कुछ पर अधिकर दे कर कलीसिया का शीर्ष नियुक्त किया।

23) कलीसिया मसीह का शरीर और उनकी परिपूर्णता है। मसीह सब कुछ, सब तरह से, पूर्णता तक पहुँचाते हैं।

📙 सुसमाचार : सन्त मत्ती 28:16-20

16) तब ग्यारह शिष्य गलीलिया की उस पहाड़ी के पास गये , जहाँ ईसा ने उन्हें बुलाया था।

17) उन्होंने ईसा को देख कर दण्डवत् किया, किन्तु किसी-किसी को सन्देह भी हुआ।

18) तब ईसा ने उनके पास आ कर कहा, “मुझे स्वर्ग में और पृथ्वी पर पूरा अधिकार मिला है।

19) इसलिए तुम लोग जा कर सब राष्ट्रों को शिष्य बनाओ और उन्हें पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम पर बपतिस्मा दो।

20) मैंने तुम्हें जो-जो आदेश दिये हैं, तुम-लोग उनका पालन करना उन्हें सिखलाओ और याद रखो- मैं संसार के अन्त तक सदा तुम्हारे साथ हूँ।”