प्रवक्ता ग्रन्थ

अध्याय : 12345678910111213141516171819202122 •  2324252627282930313233343536373839404142434445464748495051 पवित्र बाईबल

अध्याय 9

1 तुम अपनी प्रिय पत्नी से ईर्ष्या मत करो- कहीं ऐसा न हो कि वह तुम्हारी शत्रु बन जाये।

2 किसी स्त्री के प्रति इस तरह आसक्त मत हो कि वह तुम पर शासन करने लगे।

3 किसी वेश्या के निकट मत जाओ- कहीं ऐसा न हो कि तुम उसके जाल में फॅस जाओ।

4 किसी गायिका की संगति मत करो- कहीं ऐसा न हो कि तुम उस पर आसक्त हो जाओ।

5 किसी युवती पर दृष्टि मत डालो- कहीं ऐसा न हो कि उसका सौन्दर्य तुम्हारे पतन का कारण बन जाये।

6 वेश्याओें पर आसक्त मत हो- कहीं ऐसा न हो कि तुम अपनी विरासत खो दो।

7 नगर की गलियों में मत मारा-मारा फिरो और उसके एकान्त स्थानों में मत भटको।

8 सुन्दर स्त्री से अपनी दृष्टि हटालो और परायी सुन्दरी को मत निहारो।

9 स्त्री के सौन्दर्य के कारण बहुतों का विनाश हुआ। वासना उसके कारण आग की तरह भड़क उठती है।

12 विवाहित परस्त्री की संगति मत करो; उसके साथ बैठ कर मदिरा मत पियो

13 कहीं ऐसा न हो कि तुम उस पर आसक्त हो जाओ और वासना के कारण तुम्हारा विनाश हो जाये।

14 पुराने मित्र का परित्याग मत करो, क्योंकि नया मित्र उसकी बराबरी नहीं कर सकता।

15 नया मित्र नयी अंगूरी के सदृश है: पुराने हो जाने पर तुम उसे रूचि से पियोगे।

16 पापी की सफलता से ईर्ष्या मत करो: तुम नहीं जानते कि उसका अन्त कितना दुःखमय होगा।

17 दुष्टों की समृद्धि की प्रशंसा मत करो। याद रखो कि मृत्यु से पहले उन्हें, दण्ड दिया जायेगा।

18 प्राणदण्ड का अधिकार रखने वाले से दूर रहो और तुम्हें मृत्यु के भय का अनुभव नहीं होगा।

19 उसके निकट आने पर अपराध मत करो कहीं ऐसा न हो कि वह तुम्हारे प्राण हर ले।

20 समझ लो कि तुम फन्दों के बीच चलते हो और नगर के प्राचीर पर टहलते हो।

21 इस में सावधान रहो कि किसके साथ मेल-जोल रखते हो; ज्ञानियों से परामर्श करो।

22 समझदार लोगों की संगति करो और सर्वोच्च प्रभु की आज्ञाओें की ही चरचा करो।

23 धर्मियों के साथ भोजन करो और ईश्वर के प्रति श्रद्धा पर गौरव करो।

24 शिल्पकार की कुशलता के कारण कृति की प्रशंसा होती है और अपने वचनों के कारण शासक प्रज्ञ माना जाता है।

25 बकवादी अपने नगर में संकट पैदा करता है और अन्धाधुन्ध बोलने वाले व्यक्ति से लोग बैर करते हैं।