इसायाह का ग्रन्थ
अध्याय : 1 • 2 • 3 • 4 • 5 • 6 • 7 • 8 • 9 • 10 • 11 • 12 • 13 • 14 • 15 • 16 • 17 • 18 • 19 • 20 • 21 • 22 • 23 • 24 • 25 • 26 • 27 • 28 • 29 • 30 • 31 • 32 • 33 • 34 • 35 • 36 • 37 • 38 • 39 • 40 • 41 • 42 • 43 • 44 • 45 • 46 • 47 • 48 • 49 • 50 • 51 • 52 • 53 • 54 • 55 • 56 • 57 • 58 • 59 • 60 • 61 • 62 • 63 • 64 • 65 • 66 • पवित्र बाईबल
अध्याय 15
1 मोआब के विषय में दिव्य वाणी। एक ही रात में अर-मोआब उजाड़ा और नष्ट किया गया! एक ही रात में किर-मोआब उजाड़ा और नष्ट किया गया!
2 लोग विलाप करने के लिए पहाड़ पर अवस्थित दीबोन के मन्दिर जाते हैं; नेबों पर और मेदेबा में मोआब शोक मानाता है। सबों के सिर मूँड़े गये, सबों की दाढ़ी कट गयी।
3 सड़कों पर सब शोक के वस्त्र पहने हैं। लोग छतों पर और चौकों में विलाप करते और आँसू बहाते हैं।
4 हेशबोन और एलआले दुहाई देते हैं, उनकी आवाज़ यहज़ तक सुनाई पड़ती है। मोआब के सैनिक चिल्लाते हैं, उनका साहस टूट गया है।
5 मेरा हृदय मोआब के लिए रोता है: उसके शरणार्थी सोअर तक, एगलत-शलिशीया तक भागते हैं। वे रोते हुए लूहीत की ओर चढ़ रहे हैं। वे होरोनईम के मार्ग पर अपने विनाश पर विलाप करते हैं।
6 निम्रीम के जलाशय सूख गये हैं। घास जल गयी और पेड़-पौधे कुम्हला गये। कुछ भी हरियाली शेष नहीं।
7 इसलिए वे अपनी बची हुई सम्पत्ति मजनूँ नाले के उस पार ले जा रहे हैं।
8 मोआब भर में उनकी पुकार सुनाई पड़ती है। उनके विलाप की आवाज एगलैम तक, बएर-एलीम तक सुनाई पड़ती है।
9 दीमोन के जलाशय रक्त से भर गये हैं, किन्तु मैं दीमोन पर और विपत्तियाँ भेजूँगा। मैं मोआब के शरणार्थियों पर और देश में बचे हुए लोगों पर एक सिंह छोडूँगा।