यिरमियाह का ग्रन्थ
अध्याय : 1 • 2 • 3 • 4 • 5 • 6 • 7 • 8 • 9 • 10 • 11 • 12 • 13 • 14 • 15 • 16 • 17 • 18 • 19 • 20 • 21 • 22 • 23 • 24 • 25 • 26 • 27 • 28 • 29 • 30 • 31 • 32 • 33 • 34 • 35 • 36 • 37 • 38 • 39 • 40 • 41 • 42 • 43 • 44 • 45 • 46 • 47 • 48 • 49 • 50 • 51 • 52 • पवित्र बाईबल
अध्याय 45
1 ये वही बातें हैं, जो नबी यिरमियाह ने नेरीया के पुत्र बारूक से तब कही, जब बारूक योशीया के पुत्र यूदा के राजा यहोयाकीम के चैथे वर्ष यिरमियाह से सुन कर ये बातें एक पुस्तक में लिख रहा थाः
2 “बारूक! प्रभु, इस्राएल का ईश्वर तुम से यह कहता हैः
3 तुम बोले थे, ’धिक्कार मुझे, क्योंकि प्रभु ने मेरी पीड़ा को और भी दुःखमय बना दिया है! आह भरते-भरते मैं थक गया हूँ और मुझे कोई चैन नहीं।’ प्रभु कहता हैः तुम उस से ऐसा कहोगे,
4 ’देखो, मैंने जिसे उठाया था, उसे ढाह रहा हूँ और जिसे रोपा था, उसे उखाड़ रहा हूँ, अर्थात इस समस्त देश को।
5 क्या तुम अपने लिए बड़ी-बड़ी आशाएँ पाल रहे हो? उनकी आशा मत करो; क्योंकि प्रभु कहता है कि मैं सभी प्राणियों पर विपत्ति ढाहने जा रहा हूँ; किन्तु तुम जहाँ कहीं भी जाओगे, मैं उन सभी जगहों में तुम को लूट के माल की तरह तुम्हारा जीवन प्रदान करूँगा’।”