एज़ेकिएल का ग्रन्थ
अध्याय : 1 • 2 • 3 • 4 • 5 • 6 • 7 • 8 • 9 • 10 • 11 • 12 • 13 • 14 • 15 • 16 • 17 • 18 • 19 • 20 • 21 • 22 • 23 • 24 • 25 • 26 • 27 • 28 • 29 • 30 • 31 • 32 • 33 • 34 • 35 • 36 • 37 • 38 • 39 • 40 • 41 • 42 • 43 • 44 • 45 • 46 • 47 • 48 • पवित्र बाईबल
अध्याय 48
1 “कुलों के नाम इस प्रकार हैं: उत्तरी सीमा पर, समुद्र की ओर से हेतलोन हो कर हमात के प्रवेश-मार्ग तक, हसर-एनान तक (जो हमात के सामने दमिश्क की उत्तरी सीमा पर है तथा पूर्व दिशा से ले कर पश्चिमी तकः दान, एक भाग।
2 दान के सीमान्त पर पूर्व दिशा से पश्चिम तक: आशेर, एक भाग।
3 आशेर के सीमान्त पर पूर्व दिशा में पश्चिम तक: नफ्ताली, एक भाग।
4 नफ्ताली के सीमान्त पर पूर्व दिशा में पश्चिम तक: मनस्से, एक भाग।
5 मनस्से के सीमान्त पर पूर्व दिशा से पश्चिम तक: एफ्राईम, एक भाग।
6 एफ्राईम के सीमान्त पर पूर्व दिशा से पश्चिम तक: रूबेन, एक भाग।
7 रूबेन के सीमान्त पर पूर्व दिशा से पश्चिम तक: यूदा, एक भग।
8 “यूदा के सीमान्त पर पूर्व की ओर से पश्चिम तक पच्चीस हज़ार हाथ चैड़ा और एक कुल की पूर्वी से पश्चिमी सीमा तक के भाग के बराबर लम्बा एक भूभाग, जिसके बीचोबीच पवित्र-स्थान होगा, तुम अलग कर दोगे।
9 तुम प्रभु के लिए जो भूभााग अलग करोगे, वह पच्चीस हज़ार हाथ लम्बा और बीस हज़ार हाथ चैड़ा होगा।
10 इस पवित्र भूभाग का विभाजन इस प्रकार किया जायेगा: उत्तर में पच्चीस हज़ार हाथ लम्बा, पश्चिम में दस हज़ार हाथ चैड़ा, पूर्व में दस हज़ार हाथ चैड़ा और दक्षिण में पच्चीस हज़ार हाथ लम्बा भाग याजकों का होगा; प्रभु का पवित्र स्थान इसके बीचोबीच होगा।
11 यह भाग उन, सादोकवंशी अभिषिक्त याजकों के लिए होगा, जो मेरी सेवा करते रहे और जो उस समय, जब इस्राएली लोग भटक गये थे, तो लेवियों की तरह नहीं भटके थे।
12 यह ठीक लेवियों के भूमिक्षेत्र के पास देश के पवित्र भाग- एक अत्यंत पवित्र स्थान- के विशेष भाग के रूप में उन को मिलेगा
13 और याजकों के भूमिक्षेत्र के पास लेवियों को पच्चीस हज़ार हाथ लंबा और दस हज़ार हाथ चैड़ा एक भाग दिया जायेगा। उसकी कुल लम्बाई पच्चीस हज़ार हाथ और चैडाई पच्चीस हज़ार हाथ होगी।
14 वे न तो इसका कोई हिस्सा बेचेंगे और न इसकी अदला-बदली करेंगे। देश के इस उत्तम भाग को वे हस्तान्तरित नहीं करेंगे; क्योंकि यह प्रभु की दष्टि में पवित्र है।
15 “पाँच हज़ार हाथ चैड़ा और पच्चीस हज़ार हाथ लम्बा शेष भाग नगर के सामान्य उपयोग, घर बनाने और खुले स्थान के लिए होगा। नगर उसके ठीक मध्य में होगा।
16 उसकी लम्बाई-चैडाई इस प्रकार होगी- उत्तरी भाग साढे चार हज़ार हाथ, दक्षिणी भाग साढे चार हज़ार हाथ, पूर्वी भाग साढे चार हज़ार तथा पश्चिमी भाग साढे चार हज़ार हाथ।
17 नगर में एक खुला स्थान रहेगा- उत्तर में ढाई सौ हाथ; दक्षिण में ढाई सौ हाथ। पूर्व में ढाई सौ हाथ और पश्चिम में ढाई सौ हाथ।
18 पवित्र भूभाग में संलग्न लम्बाई का शेष भाग पूर्व की ओर दस हज़ार हाथ होगी और पश्चिम की ओर दस हज़ार हाथ। यह पवित्र भाग से संलग्न होगा। इसकी उपज से नगर के मजदूरों को भोजन प्राप्त होगा।
19 नगर के मज़दूर, जो इस्राएल के सभी कुलों के होंगे, इसे जोतेंगे।
20 तुम्हारे द्वारा अलग किया हुआ समस्त भूभाग पच्चीस हज़ार वर्ग अर्थात् नगर की भूसंपत्ति-संहित पवित्र भूभाग होगा।
21 “पवित्र भूभाग और नगर की भूसंपत्ति के दोनों ओर का अवशिष्ट भाग शासक का होगा। पवित्र भूभाग की पच्चीस हज़ार हाथ भूमि से ले कर पूर्वी सीमा तक और पश्चिमी में पच्चीस हज़ार हाथ भूमि से लेकर पश्चिमी सीमा तक, कुलों के भागों के समानान्तर यह क्षेत्र शासक का होगा। इसके बीच पवित्र भूभाग और मन्दिर का पवित्र-स्थान होगा।
22 लेवियों की भूसंपत्ति तथा नगर की भू-संपत्ति शासक के भाग के बीचोंबीच रहेगी शासक का भाग यूदा के भूमिक्षेत्र और बेनयामीन के भूमिक्षेत्र के बीचोंबीच अवस्थित होगा।
23 “जहाँ तक शेष कुलों का सम्बन्ध है, पूर्व की ओर से पश्चिम तकः बेनयामीन, एक भाग।
24 बेनयामीन के सीमांत पर पूर्व की ओर से पश्चिम तक: सिमओन, एक भाग।
25 सिमओन के सीमांत से पूर्व की ओर से पश्चिम तक: इस्साकार, एक भाग।
26 इस्साकार के सीमांत से पूर्व की ओर से पश्चिम तक: ज़बुलोन, एक भाग।
27 ज़बुलोन के सीमांत से पूर्व की ओर से पश्चिम तक: गाद, एक भाग
28 और गाद के सीमांत से दक्षिण की ओर सीमा तामार से मरीबा कादेश के जलाशयों तक और वहाँ से मिस्र के नाले से महासमुद्र तक जायेगी।
29 यही वह देश है, जिसे तुम इस्राएल के विभिन्न कुलों के बीच दायभाग के रूप में विभाजित करोगे और यही उनके विभिन्न भाग हैं। यह प्रभु-ईश्वर की वाणी है।
30 “नगर के बाहर जाने के मार्ग ये होंगे: उत्तर की ओर, जिसकी माप चार हज़ार पाच सौ हाथ होगी,
31 तीन फाटक: रूबेन का फाटक, यूदा का फाटक और लेवी का फाटक- इस्राएल के कुलों के नामों के अनुसार नगर के फाटक होंगे।
32 पूर्व की ओर, जो चार हज़ार पांच सौ हाथ लंबा होगा, तीन फाटक: यूसुफ़ का फाटक, बेनयामीन का फाटक और दान का फाटक।
33 दक्षिण की ओर, जिसकी माप चार हज़ार पाँच सौ हाथ होगी, तीन फाटक: सिमओन का फाटक, इस्साकार का फाटक और ज़बुलोन का फाटक।
34 पश्चिम की ओर, जिसका विस्तार पाँच हजार पाँच सौ हाथ होगा, तीन फाटकः गाद का फाटक, आशेर का फाटक और नफ्ताली का फाटक।
35 नगर का घेरा अठारह हज़ार हाथ होगा और तब से नगर का नाम रहेगा-’प्रभु यहाँ है’।”