सोमवार, 25 सितंबर, 2023

वर्ष का पच्चीसवाँ सामान्य सप्ताह

पहला पाठ : एज़्रा का ग्रन्थ 1:1-6

1) यिरमियाह द्वारा घोषित अपनी वाणी पूरी करने के लिए प्रभु ने फ़ारस के राजा सीरुस को उसके शासनकाल के प्रथम वर्ष में प्रेरित किया कि वह अपने सम्पूर्ण राज्य में यह लिखित राजाज्ञा प्रसारित करे,

2) ’’फारस के राजा सीरुस कहते हैं: प्रभु, स्वर्ग के ईश्वर ने मुझे पृथ्वी के सब राज्य प्रदान किये और उसने मुझे यहूदियों के येरुसालेम में एक मन्दिर बनवाने का आदेश दिया है।

3) ईश्वर उनके साथ रहे, जो तुम लोगों में उसकी प्रजा के सदस्य हैं! वे लोग येरुसालेम में रहने वाले ईश्वर, इस्राएल के ईश्वर, प्रभु का मन्दिर बनाने के लिए येरुसालेम की ओर प्रस्थान करें।

4) जहाँ कहीं कोई इस्राएली हो, उस को वहाँ के लोग चाँदी, सोना, सामान, पशुधन और येरुसालेम में रहने वाले ईश्वर के मन्दिर के लिए स्वेच्छित उपहार प्रदान करें।’’

5) तब यूदा और बेनयामीन के परिवारों के अध्यक्ष, याजक और लेवी-वे सब लोग, जिन्हें ईश्वर से यह प्रेरणा मिली-येरुसालेम में रहने वाले प्रभु का मन्दिर बनवाने के लिए लौटने की तैयारियाँ करने लगे।

6) उनके सभी पड़ोसी उन्हें चाँदी, सोना, सामान, पशुधन, बहुत-सी बहुमूल्य वस्तुएँ और स्वेच्छित उपहार दे कर उनकी हर प्रकार की सहायता करते थे।

सुसमाचार : सन्त लूकस 8:16-18

16) ’’कोई दीपक जला कर बरतन से नहीं ढकता या पलंग के नीचे नहीं रखता, बल्कि वह उसे दीवट पर रख देता है, जिससे भीतर आने वाले उसका प्रकाश देख सकें।

17) ’’ऐसा कुछ भी छिपा हुआ नहीं है, जो प्रकट नहीं होगा और ऐसा कुछ भी गुप्त नहीं है, जो नहीं फैलेगा और प्रकाश में नहीं आयेगा।

18) तो इसके सम्बन्ध में सावधान रहो कि तुम किस तरह सुनते हो; क्योंकि जिसके पास कुछ है, उसी को और दिया जायेगा और जिसके पास कुछ नहीं है, उस से वह भी ले लिया जायेगा, जिसे वह अपना समझता है।