उत्पत्ति ग्रन्थ
अध्याय : 1 • 2 • 3 • 4 • 5 • 6 • 7 • 8 • 9 • 10 • 11 • 12 • 13 • 14 • 15 • 16 • 17 • 18 • 19 • 20 • 21 • 22 • 23 • 24 • 25 • 26 • 27 • 28 • 29 • 30 • 31 • 32 • 33 • 34 • 35 • 36 • 37 • 38 • 39 • 40 • 41 • 42 • 43 • 44 • 45 • 46 • 47 • 48 • 49 • 50 • पवित्र बाईबल
अध्याय 15
1 इन घटनाओं के बाद अब्राम ने एक दिव्य दर्शन में ईश्वर की वाणी को यह कहते हुए सुना, ”अब्राम! मत डरो! मैं तुम्हारी ढाल हूँ। तुम्हारा पुरस्कार महान् होगा।”
2 अब्राम ने कहा, ”प्रभु-ईश्वर! तू मुझे क्या दे सकता है? मैं निस्सन्तान हूँ और मेरे घर का उत्तराधिकारी दमिश्क का एलीएजर है।”
3 अब्राम ने फिर कहा, ”तूने मुझे कोई सन्तान नहीं दी। मेरा नौकर मेरा उत्तराधिकारी होगा।”
4 तब प्रभु ने उस से यह कहा, ”वह तुम्हारा उत्तराधिकारी नहीं होगा। तुम्हारा औरस पुत्र ही तुम्हारा उत्तराधिकारी होगा।”
5 ईश्वर ने अब्राम को बाहर ले जाकर कहा, ”आकाश की और दृष्टि लगाओ और सम्भव हो, तो तारों की गिनती करो”। उसने उस से यह भी कहा, ”तुम्हारी सन्तति इतनी ही बड़ी होगी”।
6 अब्राम ने ईश्वर में विश्वास किया और इस कारण प्रभु ने उसे धार्मिक माना।
7 प्रभु ने उस से कहा, ”मैं वही प्रभु हूँ, जो तुम्हें इस देश का उत्तराधिकारी बनाने के लिए खल्दैयों के ऊर नामक नगर से निकाल लाया था।”
8 अब्राम ने उत्तर दिया, ”प्रभु! मेरे ईश्वर! मैं यह कैसे जान पाऊँगा कि इस पर मेरा अधिकार हो जायेगा?”
9 प्रभु ने कहा, ”तीन वर्ष की कलोर, तीन वर्ष की बकरी, तीन वर्ष का मेढ़ा, एक पाण्डुक और एक कपोत का बच्चा यहाँ ले आना”।
10 अब्राम ये सब ले आया। उसने उनके दो-दो टुकड़े कर दिये और उन टुकड़ों को आमने-सामने रख दिया, किन्तु पक्षियों के दो-दो टुकड़े नहीं किये।
11 गीध लाशों पर उतर आये, किन्तु अब्राम ने उन्हें भगा दिया।
12 जब सूर्य डूबने पर था, तो अब्राम गहरी नींद में सो गया और उस पर आतंक छा गया।
13 फिर प्रभु ने अब्राम से कहा, ”यह निश्चित रूप से जान लो कि तुम्हारे वंशज प्रवासियों की तरह एक ऐसे देश में निवास करेंगे, जो उनका नहीं होगा। वहाँ उन्हें दासों के रूप में रहना पड़ेगा और उन पर चार सौ वर्ष अत्याचार होता रहेगा।
14 किन्तु जहाँ वे दासों के रूप में रहेंगे, मैं उस राष्ट्र को दण्ड दूँगा। इसके बाद वे बहुत धन-सम्पत्ति के साथ वहाँ से निकल आयेंगे।
15 तुम शान्तिपूर्वक अपने पूर्वजों के पास जाओगे और बड़ी अच्छी उमर तक जीवित रहने के बाद तुम्हारा दफ़न होगा।
16 तुम्हारे वंशजों की चौथी पीढ़ी यहाँ लौटेगी, क्योंकि अमोरियों के अधर्म का घड़ा अभी पूरा भरा नहीं है।”
17 सूर्य डूबने तथा गहरा अन्धकार हो जाने पर एक धुँआती हुई अंगीठी तथा एक जलती हुई मशाल दिखाई पड़ी, जो जानवरों के उन टुकड़ों के बीच से होते हुए आगे निकल गयीं।
18 उस दिन प्रभु ने यह कह कर अब्राम के लिए अपना विधान प्रकट किया, ” मैं मिस्त्र की नदी से लेकर महानदी अर्थात् फ़रात नदी तक का यह देश तुम्हारे वंशजों को दे देता हूँ।
19 वह भूभाग, जहाँ केनी, कनिज्जी, कदमोनी,
20 हित्ती, परिज्जी, रफाई,
21 अमोरी, कनानी, गिरगाशी और यबूसी लोग रहते हैं।”