सामान्य – काल
चौथा सप्ताह
आज के संत: संत योहन बोस्को
📒 पहला पाठ: समूएल 24: 2, 9- 17
2 इसलिए राजा दाऊद ने अपने सेनाध्यक्ष योआब से यह कहा, “तुम दान से बएर-शेबा तक सब इस्राएली वंशों में घूम-घूम कर जनगणना करो। मैं लोगों की संख्या जानना चाहता हूँ।
9 योआब ने राजा को जनगणना का परिणाम बताया: इस्राएल में तलवार चलाने योग्य आठ लाख योद्धा थे और यूदा में पाँच लाख।
10 जनगणना के बाद दाऊद को पश्चाताप हुआ और उसने प्रभु से कहा, “मैंने जनगणना करा कर घोर पाप किया है। प्रभु! अपने सेवक का पाप क्षमा कर। मैंने बड़ी मूर्खता का काम किया है।”
11 जब दाऊद दूसरे दिन प्रातः उठा, तो दाऊद के दृष्टा, नबी गाद को प्रभु की वाणी यह कहते हुए सुनाई पड़ी,
12 “दाऊद के पास जाकर कहो: प्रभु यह कहता है- मैं तीन बातें तुम्हारे सामने रख रहा हूँ। उनमें एक को चुन लो। मैं उसी के द्वारा तुम को दण्डित करूँगा।”
13 गाद ने दाऊद के पास आकर यह सूचना दी और पूछा, “क्या तुम चाहते हो – तुम्हारे राज्य में सात वर्ष तक अकाल पड़े? अथवा तुम तीन महीनों तक पीछा करते हुए शत्रु के सामने भागते रहो अथवा तुम्हारे देश में तीन दिनों तक महामारी का प्रकोप बना रहे? अच्छी तरह विचार कर बताओ कि मैं उस को, जिसने मुझे भेजा है, क्या उत्तर दूँ।”
14 दाऊद ने गाद से कहा, “मैं बड़े असमंजस में हूँ। हम प्रभु के हाथों पड़ जायें- क्योंकि उसकी दया बड़ी है- किन्तु मैं मनुष्यों के हाथों न पडूँ।”
15 इसलिए प्रभु ने सबेरे से निर्धारित समय तक इस्राएल में महामारी भेजी और दान से बएर-शेबा तक सत्तर हज़ार लोग मर गये।
16 जब प्रभु के दूत ने येरूसालेम का विनाश करने के लिए अपना हाथ उठाया, तो प्रभु को विपत्ति देख कर दुःख हुआ और उसने लोगों का संहार करने वाले दूत से कहा, “बहुत हुआ। अब अपना हाथ रोक लो।” प्रभु का दूत यबूसी ओरनान के खलिहान के पास खड़ा था।
17 जब दाऊद ने लोगों को संहार करने वाले दूत को देखा, तो उसने प्रभु से यह कहा, “मैंने ही पाप किया है, मैंने ही अपराध किया है। इन भेड़ों ने क्या किया है? तेरा हाथ मुझे और मेरे परिवार को दण्डित करे।”
📙 सुसमाचार : संत मारकुस 6: 1-6
1 वहाँ से विदा हो कर ईसा अपने शिष्यों के साथ अपने नगर आये।
2 जब विश्राम-दिवस आया, तो वे सभागृह में शिक्षा देने लगे। बहुत-से लोग सुन रहे थे और अचम्भे में पड़ कर कहते थे, “यह सब इसे कहाँ से मिला? यह कौन-सा ज्ञान है, जो इसे दिया गया है? यह जो महान् चमत्कार दिखाता है, वे क्या हैं?
3 क्या यह वही बढ़ई नहीं है- मरियम का बेटा, याकूब, यूसुफ़़, यूदस और सिमोन का भाई? क्या इसकी बहनें हमारे ही बीच नहीं रहती?” और वे ईसा में विश्वास नहीं कर सके।
4 ईसा ने उन से कहा, “अपने नगर, अपने कुटुम्ब और अपने घर में नबी का आदर नहीं होता’।
5 वे वहाँ कोई चमत्कार नहीं कर सके। उन्होंने केवल थोड़े-से रोगियों पर हाथ रख कर उन्हें अच्छा किया।
6 उन लोगों के अविश्वास पर ईसा को बड़ा आश्चर्य हुआ।