पास्का का प्रथम काल

अठवारे का शुक्रवार

आज के संत: संत विन्सेन्ट फेरेर पुरोहित

📒 पहला पाठ: प्रेरित-चरित 4: 1 – 12

1 पेत्रुस और योहन लोगों से बोल ही रहे थे कि याजक, मन्दिर-आरक्षी का नायक और सदूकी उनके पास आ धमके।

2 वे क्रुद्ध थे, क्योंकि प्रेरित जनता को शिक्षा दे रहे थे और ईसा का उदाहरण दे कर मृतकों के पुनरूत्थान का प्रचार कर रहे थे।

3 सन्ध्या हो चली थी, इसलिए उन्होंने उन को गिरफ्तार कर रात भर के लिए बन्दीगृह में डाल दिया।

4 जिन्होंने उनका प्रवचन सुना था, उन में बहुतों ने विश्वास किया। पुरुषों की संख्या अब लगभग पाँच हजार तक पहुँच गयी।

5 दूसरे दिन येरूसालेम में शासकों, नेताओं और शास्त्रियों की सभा हुई।

6 प्रधान याजन अन्नस, कैफस, योहन, सिकन्दर और महायाजक-वर्ग के सभी सदस्य वहाँ उपस्थित थे।

7 वे पेत्रुस तथा योहन को बीच में खड़ा कर इस प्रकार उन से पूछताछ करने लगे, “तुम लोगों ने किस सामर्थ्य से या किसके नाम पर यह काम किया है?”

8 पेत्रुस ने पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो कर उन से कहा, “जनता के शासकों और नेताओ”!

9 हमने एक लँगड़े मनुष्य का उपकार किया है और आज हम से पूछताछ की जा रही है कि यह किस तरह भला-चंगा हो गया है।

10 आप लोग और इस्राएल की सारी प्रजा यह जान ले कि ईसा मसीह नाज़री के नाम के सामर्थ्य से यह मनुष्य भला-चंगा हो कर आप लोगों के सामने खड़ा है। आप लोगों ने उन्हें क्रूस पर चढ़ा दिया, किन्तु ईश्वर ने उन्हें मृतकों में से पुनर्जीवित किया।

11 वह वही पत्थर है, जिसे आप, कारीगरों ने निकाल दिया था और जो कोने का पत्थर बन गया है।

12 किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा मुक्ति नहीं मिल सकती; क्योंकि समस्त संसार में ईसा नाम के सिवा मनुष्यों को कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया है, जिसके द्वारा हमें मुक्ति मिल सकती है।”

📙 सुसमाचार : सन्त योहन 21 : 1- 14

1 बाद में ईसा तिबेरियस के समुद्र के पास, अपने शिष्यों को फिर दिखाई दिये। यह इस प्रकार हुआ।

2 सिमोन पेत्रुस, थोमस जो यमल कहलाता था, नथनाएल, जो गलीलिया के काना का निवासी था, ज़ेबेदी के पुत्र और ईसा के दो अन्य शिष्य साथ थे।

3 सिमोन पेत्रुस ने उन से कहा, “मैं मछली मारने जा रहा हूँ”। वे उस से बोले, “हम भी तुम्हारे साथ चलते हैं”। वे चल पडे और नाव पर सवार हुये, किन्तु उस रात उन्हें कुछ नहीं मिला।

4 सबेरा हो ही रहा था कि ईसा तट पर दिखाई दिये; किन्तु शिष्य उन्हें नही पहचान सके।

5 ईसा ने उन से कहा, “बच्चों! खाने को कुछ मिला?” उन्होने उत्तर दिया, “जी नहीं”।

6 इस पर ईसा ने उन से कहा, “नाव की दाहिनी ओर जाल डाल दो और तुम्हें मिलेगा”। उन्होंने जाल डाला और इतनी मछलियाँ फस गयीं कि वे जाल नहीं निकाल सके।

7 तब उस शिष्य ने, जिसे ईसा प्यार करते थे, पेत्रुस से कहा, “यह तो प्रभु ही हैं”। जब पेत्रुस ने सुना कि यह प्रभु हैं, तो वह अपना कपड़ा पहन कर- क्योंकि वह नंगा था- समुद्र में कूद पडा।

8 दूसरे शिष्य मछलियेां से भरा जाल खीचतें हुये डोंगी पर आये। वे किनारे से केवल लगभग दो सौ हाथ दूर थे।

9 उन्होंने तट पर उतरकर वहाँ कोयले की आग पर रखी हुई मछली देखी और रोटी भी।

10 ईसा ने उन से कहा, “तुमने अभी-अभी जो मछलियाँ पकडी हैं, उन में से कुछ ले आओ।

11 सिमोन पेत्रुस गया और जाल किनारे खीचं लाया। उस में एक सौ तिरपन बड़ी बड़ी मछलियाँ थी और इतनी मछलियाँ होने पर भी जाल नहीं फटा था।

12 ईसा ने उन से कहा, “आओ जलपान कर लो”। शिष्यों में किसी को भी ईसा से यह पूछने का साहस नहीं हुआ कि आप कौन हैं। वे जानते थे कि वह प्रभु हैं।

13 ईसा अब पास आये। उन्होंने रोटी ले कर उन्हें दी और इसी तरह मछली भी।

14 इस प्रकार ईसा मृतकों में से जी उठने के बाद तीसरी बार अपने शिष्यों के सामने प्रकट हुये।