पास्का काल
चौथा सप्ताह
आज के संत : सिंगमरियन के संत फिदेलिस पुरोहित, शहीद, वाराणसी धर्मप्रान्त के द्वितीय संरक्षक
📒पहला पाठ : प्रेरित चरित 12 : 24 , 13: 5
24 ईश्वर का वचन बढ़ता और फैलता गया।
25 बरनाबस और साऊल अपना सेवा-कार्य पूरा कर येरूसालेम से लौटे और अपने साथ योहन को ले आये, जो मारकुस कहलाता था।
1 अंताखिया की कलीसिया में कई नबी और शिक्षक थे- जैसे बरनाबस, सिमेयोन, जो नीगेर कहलाता था, लुकियुस कुरेनी, राजा हेरोद का दूध-भाई मनाहेन और साऊल।
2 वे किसी दिन उपवास करते हुए प्रभु की उपासना कर ही रहे थे कि पवित्र आत्मा ने कहा, “मैंने बरनाबस तथा साऊल को एक विशेष कार्य के लिए निर्दिष्ट किया हैं। उन्हें मेरे लिए अलग कर दो।”
3 इसलिए उपवास तथा प्रार्थना समाप्त करने के बाद उन्होंने बरनाबस तथा साऊल पर हाथ रखे और उन्हें जाने की अनुमति दे दी।
4 पवित्र आत्मा द्वारा भेजे हुए बरनाबस और साऊल सिलूकिया गये और वहाँ से वे नाव पर कुप्रुस चले।
5 सलमिस पहुँच कर वे यहूदियों के सभागृहों में ईश्वर के वचन का प्रचार करते रहे। योहन भी उनके साथ रह कर उनकी सहयता करता था।
📙सुसमाचर : संत योहन 12 : 44 – 50
44 ईसा ने पुकार कर कहा जो मुझ में विश्वास करता है, वह मुझ में नहीं बल्कि जिसने मुझे भेजा, उसमें विश्वास करता है
45 और जो मुझे देखता है, वह उस को देखता है जिसने मुझे भेजा।
46 मैं ज्योति बन कर संसार में आया हूँ, जिससे जो मुझ में विश्वास करता हैं वह अन्धकार में नहीं रहे।
47 यदि कोई मेरी शिक्षा सुनकर उस पर नहीं चलता, तो मैं उसे दोषी नही ठहराता हूँ क्योंकि मैं संसार को दोषी ठहराने नहीं, संसार का उद्वार करने आया हूँ।
48 जो मेरा तिरस्कार करता और मेरी शिक्षा ग्रहण करने से इंकार करता है, वह अवश्य ही दोषी ठहराया जायेगा। जो शिक्षा मैंने दी है, वही उसे अंतिम दिन दोषी ठहरा देगी।
49 मैनें अपनी ओर से कुछ नहीं कहा। पिता ने जिसने मुझे भेजा, आदेश दिया है कि मुझे क्या कहना और कैसे बोलना है।
50 मैं जानता हूँ कि उसका आदेश अनंत जीवन है। इसलिये मैं जो कुछ कहता हूँ, उसे वैसे ही कहता हूँ जैसे पिता ने मुझ से कहा है।