सामान्य काल
वर्ष का बिसवाँ रविवार
आज के संत : संत हेलेना साम्राज्ञी


📙पहला पाठ: सूक्तियों 9: 1-6

1 प्रज्ञा ने अपने लिए एक घर बनाया है। उसने सात खम्भे खड़े किये हैं।

2 उसने अपने पशुओें को मारा, अपनी अंगूरी तैयार की और अपनी मेज़ सजायी है।

3 उसने अपनी दासियों को भेजा है और नगर की ऊँचाईयों पर यह घोषित किया:

4 “जो भोला-भाला है, वह इधर आ जाये”। जो बुद्धिहीन है, उस से वह कहती है:

5 “आओ! मेरी रोटी खाओ और वह अंगूरी पियों, जो मैंने तैयार की है।

6 अपनी मूर्खता छोड़ दो और जीते रहोगे। बुद्धिमानी के सीधे मार्ग पर आगे बढ़ते जाओ।”


📘दूसरा पाठ: एफेसियों 5: 15-20

15 अपने आचरण का पूरा-पूरा ध्यान रखें। मूर्खों की तरह नहीं, बल्कि बुद्धिमानों की तरह चल कर

16 वर्तमान समय से पूरा लाभ उठायें, क्योंकि ये दिन बुरे हैं।

17 आप लोग नासमझ न बनें, बल्कि प्रभु की इच्छा क्या है, यह पहचानें।

18 अंगूरी पी कर मतवाले नहीं बनें, क्योंकि इस से विषय-वासना उत्पन्न होती है, बल्कि पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो जायें।

19 मिल कर भजन, स्तोत्र और आध्यात्मिक गीत गायें; पूरे हृदय से प्रभु के आदर में गाते-बज़ाते रहें।

20 हमारे प्रभु ईसा मसीह के नाम पर सब समय, सब कुछ के लिए, पिता परमेश्वर को धन्यवाद देते रहें।


📕 सुसमाचार: संत योहन 6: 51-58

51 स्वर्ग से उतरी हुई वह जीवन्त रोटी मैं हूँ। यदि कोई वह रोटी खायेगा, तो वह सदा जीवित रहेगा। जो रोटी में दूँगा, वह संसार के लिए अर्पित मेरा मांस है।”

52 यहूदी आपस में यह कहते हुए वाद विवाद कर रहे थे, “यह हमें खाने के लिए अपना मांस कैसे दे सकता है?”

53 इस लिए ईसा ने उन से कहा, “मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ – यदि तुम मानव पुत्र का मांस नहीं खाओगे और उसका रक्त नहीं पियोगे, तो तुम्हें जीवन प्राप्त नहीं होगा।

54 जो मेरा मांस खाता और मेरा रक्त पीता है, उसे अनन्त जीवन प्राप्त है और मैं उसे अन्तिम दिन पुनर्जीवित कर दूँगा;

55 क्योंकि मेरा मांस सच्चा भोजन है और मेरा रक्त सच्चा पेय।

56 जो मेरा मांस खाता और मेरा रक्त पीता है, वह मुझ में निवास करता है और मैं उस में।

57 जिस तरह जीवन्त पिता ने मुझे भेजा है और मुझे पिता से जीवन मिलता है, उसी तरह जो मुझे खाता है, उसको मुझ से जीवन मिलेगा। यही वह रोटी है, जो स्वर्ग से उतरी है।

58 यह उस रोटी के सदृश नहीं है, जिसे तुम्हारे पूर्वजों ने खायी थी। वे तो मर गये, किन्तु जो यह रोटी खायेगा, वह अनन्त काल तक जीवित रहेगा।”