सामान्य काल
चौबीसवाँ सप्ताह
आज के संत : संत कोर्नेलियुस, पोप संत सिप्रियन, धर्माध्यक्ष, शहीद
📙पहला पाठ: 1 कुरिन्थियों 11: 17-26, 33
17 मैं ये आदेश देते हुए इस पर अपना असन्तोष प्रकट करना चाहता हूँ कि आपकी सभाओं से आप को लाभ से अधिक हानि होती है।
18 पहली बात तो यह है कि मेरे सुनने में आया कि जब आपके यहाँ धर्मसभा होती है, तो दलबन्दी स्पष्ट हो जाती है और मैं एक सीमा तक उस पर विश्वास भी करता हूँ।
19 आप लोगों में फूट होना एक प्रकार से अनिवार्य है, जिससे यह स्पष्ट हो जाये कि आप में कौन से लोग खरे हैं।
20 आप लोग जिस तरह सभा के लिए एकत्र होते हैं, वह प्रभु-भोज कहलाने योग्य नहीं;
21 क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति झटपट अपना-अपना भोजन खाने में लग जाता है। इस तरह कोई भूखा रह जाता है और कोई ज़रूरत से ज्यादा पीता है।
22 क्या खाने पीने के लिए आपके अपने घर नहीं हैं? या क्या आप ईश्वर की कलीसिया का तिरस्कार करना और दरिद्रों को नीचा दिखाना चाहते हैं? मैं आप लोगों से क्या कहूँ? क्या मैं आपकी प्रशंसा करूँ? मैं इस बात के लिए आपकी प्रशंसा नहीं कर सकता।
23 मैंने प्रभु से सुना और आप लोगों को भी यही बताया कि जिस रात प्रभु ईसा पकड़वाये गये, उन्होंने रोटी ले कर
24 धन्यवाद की प्रार्थना पढ़ी और उसे तोड़ कर कहा-यह मेरा शरीर है, यह तुम्हारे लिए है। यह मेरी स्मृति में किया करो।
25 इसी प्रकार, ब्यारी के बाद उन्होंने प्याला ले कर कहा- यह प्याला मेरे रक्त का नूतन विधान है। जब-जब तुम उस में से पियो, तो यह मेरी स्मृति में किया करो।
26 इस प्रकार जब-जब आप लोग यह रोटी खाते और वह प्याला पीते हैं, तो प्रभु के आने तक उनकी मृत्यु की घोषणा करते हैं।
33 इसलिए, भाइयों! जब आप प्रभु-भोज के लिए एकत्र हों, तो एक दूसरे की प्रतीक्षा करें।
34 यदि किसी को भूख लगे, तो वह अपने यहाँ खाये, जिससे आपकी सभा आपके दण्ड का कारण न बने। आपके यहाँ आने पर मैं दूसरी बातों का निपटारा करूँगा।
📕 सुसमाचार: संत लूकस 7: 1-10
1 जनता को अपने ये उपदेश सुनाने के बाद ईसा कफ़रनाहूम आये।
2 वहाँ एक शतपति का अत्यन्त प्रिय नौकर किसी रोग से मर रहा था।
3 शतपति ने ईसा की चर्चा सुनी थी; इसलिए उसने यहूदियों के कुछ प्रतिष्ठित नागरिकों को ईसा के पास यह निवेदन करने के लिए भेजा कि आप आ कर मेरे नौकर को बचायें।
4 वे ईसा के पास आ कर आग्रह के साथ यह कहते हुए उन से विनय करते रहे, “वह शतपति इस योग्य है कि आप उसके लिए ऐसा करें।
5 वह हमारे राष्ट्र से प्रेम करता है और उसी ने हमारे लिए सभागृह बनवाया।”
6 ईसा उनके साथ चले। वे उसके घर के निकट पहुँचे ही थे कि शतपति ने मित्रों द्वारा ईसा के पास यह कहला भेजा, “प्रभु! आप कष्ट न करें, क्योंकि मैं इस योग्य नहीं हूँ कि आप मेरे यहाँ आयें।
7 इसलिए मैने अपने को इस योग्य नहीं समझा कि आपके पास आऊँ। आप एक ही शब्द कह दीजिए और मेरा नौकर चंगा हो जायेगा।
8 मैं एक छोटा-सा अधिकारी हूँ। मेरे अधीन सिपाही रहते हैं। जब मैं एक से कहता हूँ – ’जाओ’, तो वह जाता है और दूसरे से- ’आओ’, तो वह आता है और अपने नौकर से-’यह करो’, तो वह यह करता है।”
9 ईसा यह सुन कर चकित हो गये और उन्होंने पीछे आते हुए लोगों की ओर मुड़ कर कहा, “मै तुम लोगों से कहता हूँ – इस्राएल में भी मैंने इतना दृढ़ विश्वास नहीं पाया”।
10 और भेजे हुए लोगों ने घर लौट कर रोगी नौकर को भला-चंगा पाया।