सामान्य काल
चौबीसवाँ सप्ताह
आज के संत : संत रॉबर्ट बेल्लारमिन धर्माध्यक्ष, धर्माचार्य


📙पहला पाठ: 1 कुरिन्थियों 12: 12-14, 27-31

12 मनुष्य का शरीर एक है, यद्यपि उसके बहुत-से अंग होते हैं और सभी अंग, अनेक होते हुए भी, एक ही शरीर बन जाते हैं। मसीह के विषय में भी यही बात है।

13 हम यहूदी हों या यूनानी, दास हों या स्वतन्त्र, हम सब-के-सब एक ही आत्मा का बपतिस्मा ग्रहण कर एक ही शरीर बन गये हैं। हम सबों को एक ही आत्मा का पान कराया गया है।

14 शरीर में भी तो एक नहीं, बल्कि बहुत-से अंग हैं।

27 इसी तरह आप सब मिल कर मसीह का शरीर हैं और आप में से प्रत्येक उसका एक अंग है।

28 ईश्वर ने कलीसिया में भिन्न-भिन्न लोगों को नियुक्त किया है- पहले प्रेरितों को, दूसरे भविष्यवक्ताओं को, तीसरे शिक्षकों और तब चमत्कार दिखाने वालों को। इसके बाद स्वस्थ करने वालों, परोपकारकों, प्रशासकों, अनेक भाषाएँ बोलने वालों को।

29 क्या सब प्रेरित हैं? सब भविष्यवक्ता हैं? सब शिक्षक हैं? सब चमत्कार दिखने वाले हैं? सब भाषाएँ बोलने वाले हैं? सब व्याख्या करने वाले हैं?

30 सब स्वस्थ करने वाले हैं? सब भाषाएँ बोलने वाले हैं? सब व्याख्या करने वाले हैं?

31 आप लोग उच्चतर वरदानों की अभिलाषा किया करें। मैं अब आप लोगों को सर्वोत्तम मार्ग दिखाता चाहता हूँ।


📕 सुसमाचार: संत लूकस 7: 11-17

11 इसके बाद ईसा नाईन नगर गये। उनके साथ उनके शिष्य और एक विशाल जनसमूह भी चल रहा था।

12 जब वे नगर के फाटक के निकट पहुँचे, तो लोग एक मुर्दे को बाहर ले जा रहे थे। वह अपनी माँ का इकलौता बेटा था और वह विधवा थी। नगर के बहुत-से लोग उसके साथ थे।

13 माँ को देख कर प्रभु को उस पर तरस हो आया और उन्होंने उस से कहा, “मत रोओ”,

14 और पास आ कर उन्होंने अरथी का स्पर्श किया। इस पर ढोने वाले रुक गये। ईसा ने कहा, “युवक! मैं तुम से कहता हूँ, उठो”।

15 मुर्दा उठ बैठा और बोलने लगा। ईसा ने उसको उसकी माँ को सौंप दिया।

16 सब लोग विस्मित हो गये और यह कहते हुए ईश्वर की महिमा करते रहे, “हमारे बीच महान् नबी उत्पन्न हुए हैं और ईश्वर ने अपनी प्रजा की सुध ली है”।

17 ईसा के विषय में यह बात सारी यहूदिया और आसपास के समस्त प्रदेश में फैल गयी।