सामान्य काल
पच्चीसवाँ सप्ताह
आज के संत : संत लौरेंस रूईस, शहीद संत वेन्सेस्लौस, शहीद
📙पहला पाठ: उपदेशक 11: 9- 12: 8
9 युवक! अपनी जवानी में आनन्द मनाओं अपनी युवावस्था में मनोरंजन करो। अपने हृदय और अपनी आँखों की अभिलाषा पूरी करो, किन्तु याद रखो कि ईश्वर तुम्हारे आचरण का लेखा माँगेगा।
10 अपने हृदय से शोक को निकाल दो और अपने शरीर से कष्ट दूर कर दो, क्योंकि जीवन का प्रभात क्षणभंगुर है।
1 अपनी जवानी के दिनों में अपने सृष्टिकर्ता को याद रखो: बुरे दिनों के आने से पहले, उन वर्षों के आने से पहले, जिनके विषय में तुम कहोगे- “मुझे उन में कोई सुख नहीं मिला”;
2 उस समय से पहले, जब सूर्य, प्रकाश, चन्द्रमा और नक्षत्र अन्धकारमय हो जायेंगे; और वर्षा के बाद बादल छा जायेंगे;
3 उस समय से पहले, जब घर के रक्षक काँपने लगेंगे, बलवानों का शरीर झुक जायेगा, चबाने वाले इतने कम होंगे कि अपना काम बन्द कर देंगे और जो खिड़कियों से झाँकती हैं, वे धुँधली हो जायेंगी;
4 उस समय से पहले, जब बाहरी दरवाज़े बन्द होंगे, चक्की की आवाज़ मन्द होगी, चिड़ियों की चहचहाहट धीमी पड़ जायेगी और सभी गीत मौन हो जायेंगे;
5 उस समय से पहले, जब ऊँचाई पर चढ़ने से डर लगेगा और सड़कों पर ख़तरे-ही-ख़तरे दिखाई देंगे, जब बादाम का स्वाद फीका पड़ जायेगा, टिड्डियाँ नहीं पचेंगी और चटनी में रुचि नहीं रहेगी, क्योंकि मनुष्य परलोक सिधारने पर है और शोक मनाने वाले सड़क पर आ रहे हैं;
6 उस समय से पहले, जब चाँदी का तार टूट जायेगा और सोने का पात्र गिर पड़ेगा, जब घड़ा झरने के पास फूटेगा और कुएँ का पहिया टुकड़े-टुकड़े हो जायेगा;
7 उस समय से पहले, जब मिट्टी उस पृथ्वी में मिल जायेगी, जहाँ से वह आयी है और आत्मा ईश्वर के पास लौट जायेगी, जिसने उसे भेजा है।
8 उपदेशक कहता है: व्यर्थ ही व्यर्थ; सब कुछ व्यर्थ है।
📕 सुसमाचार: संत लूकस 9: 43-45
43 ईश्वर का यह प्रताप देख कर सब-के-सब विस्मय-विमुग्ध हो गये।
सब लोग ईसा के कार्यों को देख कर अचम्भे में पड़ जाते थे; किन्तु उन्होंने अपने शिष्यों से कहा,
44 “तुम लोग मेरे इस कथन को भली भाँति स्मरण रखो-मानव पुत्र मनुष्यों के हवाले कर दिया जायेगा”।
45 परन्तु यह बात उनकी समझ में नहीं आ सकी। इसका अर्थ उन से छिपा रह गया और वे इसे नहीं समझ पाते थे। इसके विषय में ईसा से प्रश्न करने में उन्हें संकोच होता था।