आगमन काल
आगमन का पहला रविवार
आज के संत: संत एडमण्ड कैम्पीयन पुरोहित, शहीद

📙 पहला पाठ: यिरमियाह 33: 14-16

14 “प्रभु यह कहता हैः देखो, वे दिन आ रहे हैं, जब मैं इस्राएल तथा यूदा के घराने के प्रति अपनी प्रतिज्ञा पूरी करूँगा।

15 उन दिनों और उस समय, मैं दाऊद के लिए एक धर्मी वंशज उत्पन्न करूँगा, जो देश पर न्यायपूर्वक शासन करेगा।

16 उन दिनों यूदा का उद्धार होगा और येरुसालेम सुरक्षित रहेगा। यरूसालेम का यह नाम रखा जायेगा- ’प्रभु ही हमारा न्याय है’;


📘 दूसरा पाठ: 1 थेसलनीकियों 3: 12-4:2

12 प्रभु ऐसा करें कि जिस तरह हम आप लोगों को प्यार करते हैं, उसी तरह आपका प्रेम एक दूसरे के प्रति और सबों के प्रति बढ़ता और उमड़ता रहे।

13 इस प्रकार वह उस दिन तक अपने हृदयों को हमारे पिता ईश्वर के सामने पवित्र और निर्दोष बनायें रखें, जब हमारे प्रभु ईसा अपने सब सन्तों के साथ आयेंगे।

1 भाइयो! आप लोग हम से यह शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं कि किस प्रकार चलना और ईश्वर को प्रसन्न करना चाहिए और आप इसके अनुसार चलते भी हैं। अन्त में, हम प्रभु ईसा के नाम पर आप से आग्रह के साथ अनुनय करते हैं कि आप इस विषय में और आगे बढ़ते जायें।

2 आप लोग जानते हैं कि मैंने प्रभु ईसा की ओर से आप को कौन-कौन आदेश दिये।


📕 सुसमाचार: संत लूकस 21: 25-28, 34-36

25 “सूर्य, चन्द्रमा और तारों में चिह्न प्रकट होंगे। समुद्र के गर्जन और बाढ़ से व्याकुल हो कर पृथ्वी के राष्ट्र व्यथित हो उठेंगे।

26 लोग विश्व पर आने वाले संकट की आशंका से आतंकित हो कर निष्प्राण हो जायेंगे, क्योंकि आकाश की शक्तियाँ विचलित हो जायेंगी।

27 तब लोग मानव पुत्र को अपार सामर्थ्य और महिमा के साथ बादल पर आते हुए देखेंगे।

28 “जब ये बातें होने लगेंगी, तो उठ कर खड़े हो जाओ और सिर ऊपर उठाओ, क्योंकि तुम्हारी मुक्ति निकट है।”

34 “सावधान रहो। कहीं ऐसा न हो कि भोग-विलास, नशे और इस संसार की चिन्ताओं से तुम्हारा मन कुण्ठित हो जाये और वह दिन फन्दे की तरह अचानक तुम पर आ गिरे;

35 क्योंकि वह दिन समस्त पृथ्वी के सभी निवासियों पर आ पड़ेगा।

36 इसलिए जागते रहो और सब समय प्रार्थना करते रहो, जिससे तुम इन सब आने वाले संकटों से बचने और भरोसे के साथ मानव पुत्र के सामने खड़े होने योग्य बन जाओ।”