आगमन काल
पहला सप्ताह
आज के संत: संत अम्ब्रोस महाधर्माध्यक्ष, धर्माचार्य
📙 पहला पाठ: इसायाह 30: 19-21, 23-26
19 येरुसालेम में रहने वाली सियोन की प्रजा! अब से तुम लोगों को रोना नहीं पड़ेगा। प्रभु तुम पर अवश्य दया करेगा, वह तुम्हारी दुहाई सुनते ही तुम्हारी सहायता करेगा।
20 प्रभु ने तुम्हें विपत्ति की रोटी खिलायी और दुःख का जल पिलाया है; किन्तु अब तुम्हें शिक्षा प्रदान करने वाला प्रभु अदृश्य नहीं रहेगा- तुम अपनी आँखों से उसके दर्शन करोगे।
21 यदि तुम सन्मार्ग से दायें या बायें भटक जाओगे, तो तुम पीछे से यह वाणी अपने कानों से सुनोगे-“सच्चा मार्ग यह है; इसी पर चलते रहो“।
23 प्रभु तुम्हारे बोये हुये बीजों को वर्षा प्रदान करेगा और तुम अपने खेतों की भरपूर उपज से पुष्टिदायक रोटी खाओगे। उस दिन तुम्हारे चैपाये विशाल चारागाहों में चरेंगे।
24 खेत में काम करने वाले बैल और गधे, सूप और डलिया से फटकी हुई, नमक मिली हुई भूसी खयेंगे।
25 महावध के दिन, जब गढ़ तोड़ दिये जायेंगे, तो हर एक उत्तुंग पर्वत और हर एक ऊँची पहाड़ी से उमड़ती हुई जलधाराएँ फूट निकलेंगी।
📕 सुसमाचार: संत मत्ती 9: 35-10: 1,5-8
35 ईसा सभागृहों में शिक्षा देते, राज्य के सुसमाचार का प्रचार करते, हर तरह की बीमारी और दुर्बलता दूर करते हुए, सब
नगरों और गाँवों में घूमते थे।
36 लोगों को देख कर ईसा को उन पर तरस आया, क्योंकि वे बिना चरवाहे की भेड़ों की तरह थके-माँदे पड़े हुए थे।
37 उन्होंने अपने शिष्यों से कहा, “फ़सल तो बहुत है, परन्तु मज़दूर थोड़े हैं।
38 इसलिए फ़सल के स्वामी से विनती करो कि वह अपनी फ़सल काटने के लिए मज़दूरों को भेजे।”
1 ईसा ने अपने बारह शिष्यों को अपने पास बुला कर उन्हें अशुद्ध आत्माओं को निकालने तथा हर तरह की बीमारी और दुर्बलता दूर करने का अधिकार प्रदान किया।
5 ईसा ने इन बारहों को यह अनुदेश दे कर भेजा, “अन्य राष्ट्रों के यहाँ मत जाओ और समारियों के नगरों में प्रवेश मत करो,
6 बल्कि इस्राएल के घराने की खोयी हुई भेड़ों के यहाँ जाओ।
7 राह चलते यह उपदेश दिया करो- स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है।
8 रोगियों को चंगा करो, मुरदों को जिलाओ, कोढ़ियों को शुद्ध करो, नरकदूतों को निकालो। तुम्हें मुफ़्त में मिला है, मुफ़्त में दे दो।