आगमन काल
तीसरा सप्ताह
आज के संत: संत फ्लान्ना मठवासी

📙 पहला पाठ: यिरमियाह 23: 5-8

5 प्रभु यह कहता है: “वे दिन आ रहे हैं, जब मैं दाऊद के लिए एक न्यायी वंशज उत्पन्न करूँगा। वह राजा बन कर बुद्धिमानी से शासन करेगा और अपने देश में न्याय और धार्मिकता स्थापित करेगा।

6 उसके राज्यकाल में यूदा का उद्धार होगा और इस्राएल सुरक्षित रहेगा और उसका यह नाम रखा जायेगा- प्रभु ही हमारी धार्मिकता है।“

7 यह प्रभु का कहना है, “वह समय आ रहा है, जब लोग फिर यह नहीं कहेंगे, ’प्रभु के अस्तित्व की शपथ! वह इस्राएलियों को मिस्र देश से निकाल लाया है।’

8 वे यह कहेंगे, ’प्रभु के अस्तित्व की शपथ! वह इस्राएल के वंशजों को उत्तरी देश से और उन सब देशों से वापस बुला कर लाया है, जहाँ उसने उन्हें बिखेर दिया था।’ वे फिर अपनी ही भूमि में बस जायेंगे।“


📕 सुसमाचार: संत मत्ती 1: 18-24

18 ईसा मसीह का जन्म इस प्रकार हुआ। उनकी माता मरियम की मँगनी यूसुफ़ से हुई थी, परन्तु ऐसा हुआ कि उनके एक साथ रहने से पहले ही मरियम पवित्र आत्मा से

गर्भवती हो गयी।

19 उसका पति यूसुफ़ चुपके से उसका परित्याग करने की सोच रहा था, क्योंकि वह धर्मी था और मरियम को बदनाम नहीं करना चाहता था।

20 वह इस पर विचार कर ही रहा था कि उसे स्वप्न में प्रभु

का दूत यह कहते दिखाई दिया, “यूसुफ़! दाऊद की सन्तान! अपनी पत्नी मरियम को अपने यहाँ लाने में नहीं डरें, क्योंकि उनके जो गर्भ है, वह पवित्र आत्मा से है।

21 वे पुत्र प्रसव करेंगी और आप उसका नाम ईसा रखेंगे, क्योंकि वे अपने लोगों को उनके पापों से मुक्त करेगा।”

22 यह सब इसलिए हुआ कि नबी के मुख से प्रभु ने जो कहा था, वह पूरा हो जाये –

23 देखो, एक कुँवारी गर्भवती होगी और पुत्र प्रसव करेगी, और उसका नाम एम्मानुएल रखा जायेगा, जिसका अर्थ हैः ईश्वर हमारे साथ है।

24 यूसुफ़ नींद से उठ कर प्रभु के दूत की आज्ञानुसार अपनी पत्नी को अपने यहाँ ले आया।