ख्रीस्त जयन्ती-अठवारा
आज के संत: संत सबीनुस व साथी सलोनिका की अनीसिया


📙 पहला पाठ: 1 योहन 2: 12-17

12 बच्चो! मैं तुम्हें इसलिए लिख रहा हूँ कि उनके नाम के कारण तुम्हारे पाप क्षमा किये गये हैं।

13 पिताओ! मैं तुम्हें इसलिए लिख रहा हूँ कि तुम उसे जानते हो, जो आदिकाल से विद्यमान है। युवको! मैं तुम्हें इसलिए लिख रहा हूँ कि तुमने दुष्ष्ट पर विजय पायी है।

14 बच्चो! मैं तुम्हें इसलिए लिख रहा हूँ कि तुम पिता को जानते हो। पिताओं! मैं तुम्हें इसलिए लिख रहा हूँ कि तुम उसे जानते हो, जो आदि काल से विद्यमान है।युवको! मैं तुम्हें इसलिए लिख रहा हूँ कि तुम शक्तिशाली हो। तुम में ईश्वर का वचन निवास करता है और तुमने दुष्ट पर विजय पायी है।

15 तुम न तो संसार को प्यार करो और न संसार की वस्तुओं को। जो संसार को प्यार करता है, उस में पिता का प्रेम नहीं।

16 संसार में जो शरीर की वासना, आंखों का लोभ और धन-सम्पत्ति का घमण्ड है वह सब पिता से नहीं बल्कि संसार से आता है।

17 संसार और उसकी वासना समाप्त हो रही है; किन्तु जो ईश्वर की इच्छा पूरी करता है, वह युग-युगों तक बना रहता है।


📕 सुसमाचार:संत लूकस 2: 36-40

36 अन्ना नामक एक नबिया थी, जो असेर-वंशी फ़नुएल की बेटी थी। वह बहुत बूढ़ी हो चली थी। वह विवाह के बाद केवल सात बरस अपने पति के साथ रह कर

37 विधवा हो गयी थी और अब चैरासी बरस की थी। वह मन्दिर से बाहर नहीं जाती थी और उपवास तथा प्रार्थना करते हुए दिन-रात ईश्वर की उपासना में लगी रहती थी।

38 वह उसी घड़ी आ कर प्रभु की स्तुति करने और जो लोग येरूसालेम की मुक्ति की प्रतीक्षा में थे, वह उन सबों को उस बालक के विषय में बताने लगी।

39 प्रभु की संहिता के अनुसार सब कुछ पूरा कर लेने के बाद वे गलीलिया-अपनी नगरी नाज़रेत-लौट गये।

40 बालक बढ़ता गया। उस में बल तथा बुद्धि का विकास होता गया और उसपर ईश्वर का अनुग्रह बना रहा।