अप्रैल 20, 2023, गुरुवार

पास्का का दूसरा सप्ताह

📒 पहला पाठ :प्रेरित-चरित 5:27-33

27) उन्होंने प्रेरितों को ला कर महासभा के सामने पेश किया। प्रधानयाजक ने उन से कहा,

28) हमने तुम लोगों को कड़ा आदेश दिया था कि वह नाम ले कर शिक्षा मत दिया करो, परन्तु तुम लोगों ने येरुसालेम के कोने-कोने में अपनी शिक्षा का प्रचार किया है और उस मनुष्य के रक्त की जिम्मेवारी हमारे सिर पर मढ़ना चाहते हो”।

29) इस पर पेत्रुस और अन्य प्रेरितों ने यह उत्तर दिया, “मनुष्यों की अपेक्षा ईश्वर की आज्ञा का पालन करना कहीं अधिक उचित है।

30) आप लोगों ने ईसा को क्रूस के काठ पर लटका कर मार डाला था, किन्तु हमारे पूर्वजों के ईश्वर ने उन्हें पुनर्जीवित किया।

31) ईश्वर ने उन्हें शासक तथा मुक्तिदाता का उच्च पद दे कर अपने दाहिने बैठा दिया है, जिससे वह उनके द्वारा इस्राइल को पश्चाताप और पापक्षमा प्रदान करे।

32) इन बातों के साक्षी हम हैं और पवित्र आत्मा भी, जिसे ईश्वर ने उन लोगों को प्रदान किया है, जो उसकी आज्ञा का पालन करते हैं।”

33) यह सुन कर वे अत्यन्त क्रुद्ध हो उठे और उन्होंने प्रेरितों को मार डालने का निश्चय किया।

📚 सुसमाचार : योहन 3:31-36

31) जो ऊपर से आता है, वह सर्वोपरि है। जो पृथ्वी से आता है, वह पृथ्वी का है और पृथ्वी की बातें बोलता है। जो स्वर्ग से आता है, वह सर्वोपरि है।

32) उसने जो कुछ देखा और सुना है, वह उसी का साक्ष्य देता है; किन्तु उसका साक्ष्य कोई स्वीकार नहीं करता।

33) जो उसका साक्ष्य स्वीकार करता है, वह ईश्वर की सत्यता प्रमाणित करता हे। जिसे ईश्वर ने भेजा है, वह ईश्वर के ही शब्द बोलता है;

34) क्योंकि ईश्वर उसे प्रचुर मात्रा में पवित्र आत्मा प्रदान करता है।

35) पिता पुत्र को प्यार करता है और उसने उसके हाथ सब कुछ दे दिया है।

36) जो पुत्र में विश्वास करता है, उसे अनन्त जीवन प्राप्त है। परन्तु जो पुत्र में विश्वास करने से इनकार करता है, उसे जीवन प्राप्त नहीं होगा। ईश्वर का क्रोध उस पर बना रहेगा।