अप्रैल 26, 2023, बुधवार
पास्का का तीसरा सप्ताह
📒 पहला पाठ :प्रेरित-चरित 8:1ब-8
1) साऊल इस हत्या का समर्थन करता था। उसी दिन येरुसालेम में कलीसिया पर घोर अत्याचार प्रारम्भ हुआ। प्रेरितों को छोड़ सब-के-सब यहूदिया तथा समारिया के देहातों में बिखर गये।
2) भक्तों ने, स्तेफ़नुस पर करुण विलाप करते हुए, उसे कब्र में रख दिया।
3) साऊल उस समय कलीसिया को सता रहा था। वह घर-घर घुस जाया करता और स्त्री-पुरुषों को घसीट कर बन्दीगृह में डाल दिया करता था।
4) जो लोग बिखर गये थे, वे घूम-घूम कर सुसमाचार का प्रचार करते रहे।
5) फि़लिप समारिया के एक नगर जा कर वहाँ मसीह का प्रचार करता था।
6) लोग उसकी शिक्षा पर अच्छी तरह ध्यान देते थे, क्योंकि सब उसके द्वारा दिखाये हुए चमत्कारों की चर्चा सुनते या उन्हें स्वयं देखते थे।
7) दुष्ट आत्मा ऊँचे स्वर से चिल्लाते हुए बहुत-से अपदूतग्रस्त लोगों से निकलते थे और अनेक अद्र्धांगरोगी तथा लंगड़े भी चंगे किये जाते थे;
8) इसलिए उस नगर में आनन्द छा गया।
📚 सुसमाचार : योहन 6:35-40
35) उन्होंने उत्तर दिया, “जीवन की रोटी मैं हूँ। जो मेरे पास आता है, उसे कभी भूख नहीं लगेगी और जो मुझ में विश्वास करता है, उसे कभी प्यास नहीं लगेगी।
36) फिर भी, जैसा कि मैंने तुम लोगों से कहा, तुम मुझे देख कर भी विश्वास नहीं करते।
37) पिता जिन्हें मुझ को सौंप देता है, वे सब मेरे पास आयेंगे और जो मेरे पास आता है, मैं उसे कभी नहीं ठुकराऊँगा ;
38) क्योंकि मैं अपनी इच्छा नहीं, बल्कि जिसने मुझे भेजा, उसकी इच्छा पूरी करने के लिए स्वर्ग से उतरा हूँ।
39) जिसने मुझे भेजा, उसकी इच्छा यह है कि जिन्हें उसने मुझे सौंपा है, मैं उन में से एक का भी सर्वनाश न होने दूँ, बल्कि उन सब को अन्तिम दिन पुनर्जीवित कर दूँ।
40) मेरे पिता की इच्छा यह है कि जो पुत्र को पहचान कर उस में विश्वास करता है, उसे अनन्द जीवन प्राप्त हो। मैं उसे अन्तिम दिन पुनर्जीवित कर दूँगा।”