मंगलवार, 01 अगस्त, 2023

सत्रहवाँ सामान्य सप्ताह

📒 पहला पाठ : निर्गमन 33:7-11, 34, 5-9, 28

7) मूसा ने तम्बू को उठवा कर शिविर के बाहर कुछ दूरी पर खड़ा कर दिया और उसका नाम दर्शन-कक्ष रखा। यदि कोई प्रभु से परामर्श लेना चाहता था, तो वह शिविर के बाहर उस दर्शन-कक्ष के पास चला जाता था।

8) जब मूसा उस तम्बू की ओर जाता था, तो सब लोग अपने-अपने तम्बू के द्वार पर खड़े हो जाते और मूसा को तब तक देखते रहते थे, जब तक वह तम्बू में प्रवेश न करे।

9) मूसा के प्रवेश करते ही बादल का खम्भा उतर कर तम्बू के द्वार पर खड़ा हो जाया करता था। तब प्रभु मूसा से बातें करता था।

10) तम्बू के द्वार पर बादल का खम्भा खड़ा देख कर सभी लोग तुरन्त अपने-अपने तम्बू के द्वार पर से उसे दण्डवत् किया करते थे।

11) जिस तरह एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से बात करता है, उसी तरह प्रभु मूसा के आमने-सामने प्रकट हो कर उस से बात करता था। जब मूसा शिविर में लौटता था, तो उसका सहायक नून का पुत्र, योशुआ नामक युवक तम्बू में रह जाता था।

5) प्रभु बादल के रूप में उतर कर उसके पास आया और अपना “प्रभु” नाम प्रकट किया।

6) प्रभु ने उसके सामने से निकल कर कहा, ”प्रभुः प्रभु एक करूणामय तथ कृपालु ईश्वर है। वह देर से क्रोध करता और अनुकम्पा तथा सत्यप्रतिज्ञता का धनी है।

7) वह हजार पीढ़ियों तक अपनी कृपा बनाये रखता और बुराई, अपराध और पाप क्षमा करता है।”

8) मूसा ने तुरन्त दण्डवत् कर उसकी आराधना की

9) और कहा, ”प्रभु; यदि मुझ पर तेरी कृपादृष्टि है, तो मेरा प्रभु हमारे साथ चले। ये लोग हठधर्मी तो हैं, किन्तु तू हमारे अपराध तथा पाप क्षमा कर दे और हमें अपनी निजी प्रजा बना ले।”

28) मूसा वहाँ चालीस दिन और चालीस रात प्रभु के साथ रहा। उसने न तो रोटी खायी और न पानी पिया। उसने विधान के शब्द, अर्थात दस नियम पाटियों पर अंकित किये।

📒 सुसमाचार : मत्ती 13:36-43

36) ईसा लोगों को विदा कर घर लौटे। उनके शिष्यों ने उनके पास आ कर कहा, ’’खेत में जंगली बीज का दृष्टान्त हमें समझा दीजिए’’।

37) ईसा ने उन्हें उत्तर दिया, ’’अच्छा बीज बोने बाला मानव पुत्र हैं;

38) खेत संसार है; अच्छा बीज राज्य की प्रजा है; जंगली बीज दृष्ट आत्मा की प्रजा है;

39) बोने बाला बैरी शैतान है; कटनी संसार का अंत है; लुनने वाले स्वर्गदूत हैं।

40) जिस तरह लोग जंगली बीज बटोर कर आग में जला देते हैं, वैसा ही संसार के अंत में होगा।

41) मानव पुत्र अपने स्वर्गदूतों को भेजेगा और वे उसके राज्य क़़ी सब बाधाओं और कुकर्मियों को बटोर कर आग के कुण्ड में झोंक देंगें।

42) वहाँ वे लोग रोयेंगे और दाँत पीसते रहेंगे।

43) तब धर्मी अपने पिता के राज्य में सूर्य की तरह चमकेंगे। जिसके कान हों, वह सुन ले।