शनिवार, 05 अगस्त, 2023

सत्रहवाँ सामान्य सप्ताह

📒 पहला पाठ : लेवी 25:1, 8-17

1) प्रभु ने सीनई पर्वत पर मूसा से कहा,

8) वर्षों के सात सप्ताह, अर्थात् सात बार सात वर्ष, तदनुसार उनचास वर्ष बीत जाने पर

9) तुम सातवें महीने के दसवें दिन, प्रायश्चित के दिन, देश भर में तुरही बजवाओगे।

10) यह पचासवाँ वर्ष तुम दोनों के लिए एक पुष्प-वर्ष होगा और तुम देश में यह घोषित करोगे कि सभी निवासी अपने दासों को मुक्त कर दें। यह तुम्हारे लिए जयन्ती-वर्ष होगा – प्रत्येक अपनी पैतृक सम्पत्ति फिर प्राप्त करेगा और प्रत्येक अपने कुटुम्ब में लौटेगा।

11) पचासवाँ वर्ष तुम्हारे लिए जयन्ती-वर्ष होगा। इसमें तुम न तो बीच बोओगे, न पिछली फ़सल काटोगे और न अनछँटी दाखलताओं के अंगूर तोड़ोगे,

12) क्योंकि यह जयन्ती-वर्ष हैं तुम इसे पवित्र मानोगे और खेत में अपने आप उगी हुई उपज खाओगे।

13) इस जयन्ती-वर्ष में प्रत्येक अपनी पैतृक सम्पत्ति फ़िर प्राप्त करेगा।

14) जब तुम किसी देश-भाई के हाथ कोई जमीन बेचते हो अथवा उस से ख़रीद लेते हो, तो तुम एक दूसरे के साथ बेईमानी मत करो।

15) जब तुम किसी देश-भाई से कोई ज़मीन ख़रीदते हो, तो इसका ध्यान रखो कि पिछले जयन्ती-वर्ष के बाद कितने वर्ष बीत गये हैं और बाकी फ़सलों की संख्या के अनुसार बेचने वाले को विक्रय-मूल्य निर्धारित करना चाहिए।

16) जब अधिक वर्ष बाकी हों, तो मूल्य अधिक होगा और यदि कम वर्ष बाकी हों, तो मूल्य कम होगा; क्योंकि वह तुम्हें फसलों की एक निश्चित संख्या बेचता है।

17) तुम अपने देश-भाई के साथ बेईमानी मत करो, बल्कि अपने ईश्वर पर श्रद्वा रखो; क्योंकि मैं तुम्हारा प्रभु, ईश्वर हूँ।

📒 सुसमाचार : मत्ती 14:1-12

1) उस समय राजा हेरोद ने ईसा की चर्चा सुनी।

2) और अपने दरबारियों से कहा, ’’यह योहन बपतिस्ता है। वह जी उठा है, इसलिए वह महान् चमत्कार दिखा रहा है।’’

3) हेरोद ने अपने भाई फि़लिप की पत्नी हेरोदियस के कारण योहन को गिरफ़्तार किया और बाँध कर बंदीगृह में डाल दिया था;

4) क्योंकि योहन ने उस से कहा था, ’’उसे रखना आपके लिए उचित नहीं है’’।

5) हेरोद योहन को मार डालना चाहता था; किन्तु वह जनता से डरता था, जो योहन को नबी मानती थी।

6) हेरोद के जन्मदिवस के अवसर पर हेरोदियस की बेटी ने अतिथियों के सामने नृत्य किया और हेरोद को मुग्ध कर दिया।

7) इसलिए उसने शपथ खा कर वचन दिया कि वह जो भी माँगेगी, उसे दे देगा।

8) उसकी माँ ने उसे पहले से सिखा दिया था। इसलिए वह बोली, ’’मुझे इसी समय थाली में योहन बपतिस्ता का सिर दीजिए’’।

9) हेरोद को धक्का लगा, परन्तु अपनी शपथ और अतिथियों के कारण उसने आदेश दिया कि उसे सिर दे दिया जाये।

10) और प्यादों को भेज कर उसने बंदीगृह में योहन का सिर कटवा दिया।

11) उसका सिर थाली में लाया गया और लड़की को दिया गया और वह उसे अपनी माँ के पास ले गयी।

12) योहन के शिष्य आ कर उसका शव ले गये। उन्होंने उसे दफ़नाया और जा कर ईसा को इसकी सूचना दी।