सोमवार, 21 अगस्त, 2023
वर्ष का बीसवाँ सामान्य सप्ताह
📒 पहला पाठ : न्यायकर्ताओं 2:11-19
11) तब इस्राएलियों ने वही किया, जो प्रभु की दृष्टि में बुरा है और वे बाल-देवताओं की पूजा करने लगे।
12) उन्होंने प्रभु को, अपने पूर्वजों के ईश्वर को, जो उन्हें मिस्र से निकाल लाया था, त्याग दिया। वे अपने आसपास रहने वाले लोगों के देवताओं के अनुयायी बन कर उनकी पूजा करने लगे। उन्होंने प्रभु को अप्रसन्न कर दिया।
13) वे प्रभु को त्याग कर बाल और अष्तारता-देवियों की पूजा करने लगे।
14) तब प्रभु का कोप इस्राएलियों के विरुद्ध भड़क उठा। उसने उन्हें छापामारों के हवाले कर दिया, जो उन्हें लूटने लगे। उसने उन्हें उनके षत्रुओं के हाथ बेच दिया और वे उनका सामना करने में असमर्थ रहे।
15) जब वे युद्ध करने निकलते, तो पराजित हो जाते थे; क्योंकि प्रभु उनके विरुद्ध था, जैसी कि उसने षपथ खा कर उन्हें चेतावनी दी थी।
16) जब इस्राएलियों की दुर्गति बहुत अधिक बढ़ जाती थी, तो प्रभु न्यायकर्ताओं को नियुक्त किया करता था, जो उन्हें लूटने वालों के हाथ से बचाया करते थे।
17) किन्तु वे न्यायकर्ताओं की बात नहीं मानते और पथभ्रष्ट हो कर पराये देवताओं की पूजा और उपासना करते थे। वे प्रभु की आज्ञा पर चलने वाले अपने पूर्वजों का मार्ग षीघ्र ही छोड़ देते थे। वे अपने पूर्वजों का अनुकरण नहीं करते थे।
18) जब प्रभु उनके लिए कोई न्यायकर्ता नियुक्त करता था, तो प्रभु उसका साथ देता और जब तक न्यायकर्ता जीता रहता था, तब तक प्रभु इस्राएलियों को उनके षत्रुओं के हाथ से बचाया करता था; क्योंकि जब वे अपने अत्याचारियों के दुव्र्यवहार से पीड़ित हो कर कराहते थे, तो प्रभु को उन पर तरस आता था।
19) परन्तु जब वह न्यायकर्ता मर जाता था, तो वे षीघ्र ही अपने पूर्वजों से भी अधिक घोर पाप करते थे। वे पराये देवताओं के अनुयायी बन कर उनकी पूजा और उपासना करते थे। उन्होंने अपनी पुरानी आदतें और हठीला व्यवहार कभी नहीं छोड़ा।
📒 सुसमाचार : सन्त मत्ती 19:16-22
16) एक व्यक्ति ईसा के पास आ कर बोला, ’’गुरुवर! अनन्त जीवन प्राप्त करने के लिए मैं कौन-सा भला कार्य करूँ?’’
17) ईसा ने उत्तर दिया, ’’भले के विषय में मुझ से क्यों पूछते हो? एक ही तो भला है। यदि तुम जीवन में प्रवेश करना चाहते हो, तो आज्ञाओं का पालन करो।’’
18) उसने पूछा, ’’कौन-सी आज्ञाएं?’’ ईसा ने कहा, ’’हत्या मत करो; व्यभिचार मत करो; चोरी मत करो; झूठी गवाही मत दो;
19) अपने माता पिता का आदर करो; और अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करो’’।
20) नवयुवक ने उन से कहा, ’’मैने इन सब का पालन किया है। मुझ में किस बात की कमी है?’’
21) ईसा ने उसे उत्तर दिया, ’’यदि तुम पूर्ण होना चाहते हो, तो जाओ, अपनी सारी सम्पत्ति बेच कर गरीबों को दे दो और स्वर्ग में तुम्हारे लिए पूँजी रखी रहेगी, तब आकर मेरा अनुसरण करो।’’
22) यह सुन कर वह नव-युवक बहुत उदास हो कर चला गया, क्योंकि वह बहुत धनी था।