मंगलवार, 29अगस्त, 2023
वर्ष का इक्कीसवाँ सामान्य सप्ताह
सन्त योहन बपतिस्ता की शहादत की अनिवार्य स्मृति
📒 पहला पाठ : यिरमियाह 1:17-19
17) अब तुम कमर कस कर तैयार हो जाओ और मैं तुम्हें जो कुछ बताऊँ, वह सब सुना दो। तुम उनके सामने भयभीत मत हो, नहीं तो मैं तुम को उनके सामने भयभीत बना दूँगा।
18) देखो! इस सारे देश के सामने, यूदा के राजाओं, इसके अमीरों, इसके याजकों और इसके सब निवासियों के सामने, मैं आज तुम को एक सुदृढ़ नगर के सदृश, लोहे के खम्भे और काँसे की दीवार की तरह खड़ा करता हूँ।
19) वे तुम्हारे विरुद्ध लडेंगे, किन्तु तुम को हराने में असमर्थ होंगे; क्योंकि मैं तुम्हारी रक्षा करने के लिए तुम्हारे साथ रहूँगा।“ यह प्रभु की वाणी है।
📙 सुसमाचार : सन्त मारकुस 6:17-29
17) हेरोद ने अपने भाई फि़लिप की पत्नी हेरोदियस के कारण योहन को गिरफ़्त्तार किया और बन्दीगृह में बाँध रखा था; क्योंकि हेरोद ने हेरोदियस से विवाह किया था
18) और योहन ने हेरोद से कहा था, ’’अपने भाई की पत्नी को रखना आपके लिए उचित नहीं है’’।
19) इसी से हेरोदियस योहन से बैर करती थी और उसे मार डालना चाहती थी; किन्तु वह ऐसा नहीं कर पाती थी,
20) क्योंकि हेरोद योहन को धर्मात्मा और सन्त जान कर उस पर श्रद्धा रखता और उसकी रक्षा करता था। हेरोद उसके उपदेश सुन कर बड़े असमंजस में पड़ जाता था। फिर भी, वह उसकी बातें सुनना पसन्द करता था।
21) हेरोद के जन्मदिवस पर हेरोदियस को एक सुअवसर मिला। उस उत्सव के उपलक्ष में हेरोद ने अपने दरबारियों, सेनापतियों और गलीलिया के रईसों को भोज दिया।
22) उस अवसर पर हेरोदियस की बेटी ने अन्दर आ कर नृत्य किया और हेरोद तथा उसके अतिथियों को मुग्ध कर लिया। राजा ने लड़की से कहा, ’’जो भी चाहो, मुझ से माँगो। मैं तुम्हें दे दॅूंगा’’,
23) और उसने शपथ खा कर कहा, ’’जो भी माँगो, चाहे मेरा आधा राज्य ही क्यों न हो, मैं तुम्हें दे दूँगा’’।
24) लड़की ने बाहर जा कर अपनी माँ से पूछा, ’’मैं क्या माँगूं?’’ उसने कहा, ’’योहन बपतिस्ता का सिर’’।
25) वह तुरन्त राजा के पास दौड़ती हुई आयी और बोली, ’’मैं चाहती हूँ कि आप मुझे इसी समय थाली में योहन बपतिस्ता का सिर दे दें’’
26) राजा को धक्का लगा, परन्तु अपनी शपथ और अतिथियों के कारण वह उसकी माँग अस्वीकार करना नहीं चाहता था।
27) राजा ने तुरन्त जल्लाद को भेज कर योहन का सिर ले आने का आदेश दिया। जल्लाद ने जा कर बन्दीगृह में उसका सिर काट डाला
28) और उसे थाली में ला कर लड़की को दिया और लड़की ने उसे अपनी माँ को दे दिया।
29) जब योहन के शिष्यों को इसका पता चला, तो वे आ कर उसका शव ले गये और उन्होंने उसे क़ब्र में रख दिया।