आज के संत: “संत एलिजियुस , धर्माध्यक्ष”

 📒 पहला पाठ: दानिएल का ग्रन्थ 7:2-14

2) मैंने रात्रि के समय यह दिव्य दृश्य देखाः आकाश की चारों दिशाओं की हवाएँ महासमुद्र को उद्वेलित कर रही थीं

3) और उस में से चार विशालकाय पशु निकलते थे, जो एक दूसरे से भिन्न थे।

4) पहला सिहं-जैसा था, किन्तु उसके गरूड़ के जैसे पख थे। मैं देख ही रहा था कि उसके पंख उखाड़ गये, उसे उठा कर दो पाँवों पर मनुय की तरह खड़ा कर दिया गया और उसे मनुय-जैसा हृदय दिया गया।

5) दूसरा भालू-जैसा था। वह आधा ही खड़ा था और वह अपने मुँह में दाँतों के बीच तीन पसलियाँ लिये था। उसे यह आदेश दिया गया, ’’उठो और बहुत-सा मांस खाओ’’।

6) इसके बाद मैंने चीते-जैसा एक और पशु देखा।

7) उसकी पीठ पर पक्षियों के चार डैने थे और उसके चार सिर थे। उसे राजाधिकार दिया गया। अंत में मैंने रात्रि के दृश्य में एक चैथा पशु देखा। वह विभीषण, डरावना और उत्यन्त बलवान् था। उसके दाँत लोहे के थे। वह चबाता और खाता जाता था और जो कुछ रह जाता, उसे पैरों तले रौंद देता था।

8) वह पहले के सभी पशुओं से भिन्न था और उसके दस सींग थे। मैं वे सींग देख ही रहा था कि उनके बीच में से एक और छोटा-सा सींग निकला और उसके लिए जगह बनाने के लिए पहले सींगों में से तीन उखाड़े गये। उस सींग की मनुय-जैसी आँखें थी और उसका एक डींग मारता हुआ मुँह भी था।

9) मैं देख ही रहा था कि सिंहासन रख दिये गये और एक वयोवृद्ध व्यक्ति बैठ गया। उसके वस्त्र हिम की तरह उज्जवल थे और उसके सिर के केश निर्मल ऊन की तरह।

10) उसका सिंहासन ज्वालाओं का समूह था और सिहंासन के पहिये धधकती अग्नि। उसके सामने से आग की धारा बह रही थी। सहस्रों उसकी सेवा कर रहे थे। लाखों उसके सामने खड़े थे। न्याय की कार्यवाही प्रारंभ हो रही थी। और पुस्तकें खोल दी गयीं।

11) मैंने देखा कि सींग के डींग मारने के कारण चैथा पशु मारा गया। उसकी लाश आग में डाली और जलायी गयी।

12) दूसरे पशुओं से भी उनके अधिकार छीन लिये गये, किन्तु उन्हें कुछ और समय तक जीवित ही छोड दिया गया।

13) तब मैंने रात्रि के दृश्य में देखा कि आकाश के बादलों पर मानवपुत्र-जैसा कोई आया। वह वयोवृद्ध के यहाँ पहुँचा और उसके सामने लाया गया।

14) उसे प्रभुत्व, सम्मान तथा राजत्व दिया गया। सभी देश, राष्ट्र और भिन्न-भिन्न भाषा-भाषी उसकी सेवा करेंगे। उसका प्रभुत्व अनन्त है। वह सदा ही बना रहेगा। उसके राज्य का कभी विनाश नहीं होगा।

📒 सुसमाचार : सन्त लूकस 21:29-33

29) ईसा ने उन्हें यह दृष्टान्त सुनाया, ‘‘अंजीर और दूसरे पेड़ों को देखो।

30) जब उन में अंकुर फूटने लगते हैं, तो तुम सहज ही जान जाते हो कि गर्मी आ रही है।

31) इसी तरह जब तुम इन बातों को होते देखोगे, तो यह जान लो कि ईश्वर का राज्य निकट है।

32) ’’मैं तुम से यह कहता हूँ, इस पीढ़ी के अन्त हो जाने से पूर्व ही ये सब बातें घटित हो जायेंगी।

33) आकाश और पृथ्वी टल जायें, तो टल जायें, परन्तु मेरे शब्द नहीं टल सकते।