आज के संत: “संत थॉमस बेकेट

📒 पहला पाठ: योहन का पहला पत्र 2:3-11

3) यदि हम उनकी आज्ञाओं का पालन करेंगे, तो उस से हमें पता चलेगा कि हम उन्हें जानते हैं।

4) जो कहता है कि मैं उन्हें जानता हूँ, किन्तु उनकी आज्ञाओं का पालन नहीं करता वह झूठा है और उस में सच्चाई नहीं है।

5) परन्तु जो उनकी आज्ञाओं का पालन करता है, उस में ईश्वर का प्रेम परिपूर्णता तक पहुँचता है।

6) जो कहता है कि मैं उन में निवास करता हूँ, उसे वैसा ही आचरण करना चाहिए, जैसा आचरण मसीह ने किया।

7) प्रिय भाइयो! मैं तुम्हें कोई नयी आज्ञा नहीं लिख रहा हूँ। यह वही पुरानी आज्ञा है, जो प्रारम्भ से ही तुम्हें प्राप्त है। यह पुरानी आज्ञा वह वचन है, जिसे तुम सुन चुके हो।

8) फिर भी मैं तुम्हें जो आज्ञा लिख रहा हूँ, वह नयी है। वह नयी इसीलिए है कि वह उन में चरितार्थ हुई और तुम में भी चरितार्थ हो रही है; क्योंकि अन्धकार हट रहा है और सत्य की ज्योति अब चमकने लगी है।

9) जो कहता है कि मैं ज्योति में हूँ और अपने भाई से बैर करता है, वह अब तक अन्धकार में है।

10) जो अपने भाई को प्यार करता है, वह ज्योति में निवास करता है और कोई कारण नहीं कि उसे ठोकर लगे।

11) परन्तु जो अपने भाई से बैर करता है, वह अन्धकार में है और अन्धकार में चलता है। वह यह नहीं जानता कि वह कहाँ जा रहा है; क्योंकि अन्धकार ने उसे अन्धा बना दिया है।

📙 सुसमाचार : सन्त लूकस 2:22-35

22) जब मूसा की संहिता के अनुसार शुद्धीकरण का दिन आया, तो वे बालक को प्रभु को अर्पित करने के लिए येरुसालेम ले गये;

23) जैसा कि प्रभु की संहिता में लिखा है: हर पहलौठा बेटा प्रभु को अर्पित किया जाये

24) और इसलिए भी कि वे प्रभु की संहिता के अनुसार पण्डुकों का एक जोड़ा या कपोत के दो बच्चे बलिदान में चढ़ायें।

25) उस समय येरुसालेम में सिमेयोन नामक एक धर्मी तथा भक्त पुरुष रहता था। वह इस्राएल की सान्त्वना की प्रतीक्षा में था और पवित्र आत्मा उस पर छाया रहता था।

26) उसे पवित्र आत्मा से यह सूचना मिली थी कि वह प्रभु के मसीह को देखे बिना नहीं मरेगा।

27) वह पवित्र आत्मा की प्रेरणा से मन्दिर आया। माता-पिता शिशु ईसा के लिए संहिता की रीतियाँ पूरी करने जब उसे भीतर लाये,

28) तो सिमेयोन ने ईसा को अपनी गोद में ले लिया और ईश्वर की स्तुति करते हुए कहा,

29) ’’प्रभु, अब तू अपने वचन के अनुसार अपने दास को शान्ति के साथ विदा कर;

30) क्योंकि मेरी आँखों ने उस मुक्ति को देखा है,

31) जिसे तूने सब राष़्ट्रों के लिए प्रस्तुत किया है।

32) यह ग़ैर-यहूदियों के प्रबोधन के लिए ज्योति है और तेरी प्रजा इस्राएल का गौरव।’’

33) बालक के विषय में ये बातें सुन कर उसके माता-पिता अचम्भे में पड़ गये।

34) सिमेयोन ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उसकी माता मरियम से यह कहा, ’’देखिए, इस बालक के कारण इस्राएल में बहुतों का पतन और उत्थान होगा। यह एक चिन्ह है जिसका विरोध किया जायेगा।

35) इस प्रकार बहुत-से हृदयों के विचार प्रकट होंगे और एक तलवार आपके हृदय को आर-पार बेधेगी।