सामान्य काल
सत्रहवाँ सप्ताह
आज के संत: संत अल्फोंस मरियम डी लिगोरी धर्माध्यक्ष, धर्माचार्य, धर्मसंघ संस्थापक
📙पहला पाठ: यिरमियाह 18: 1-6
1 प्रभु की वाणी यिरमियाह को यह कहते हुए सुनाई पड़ी,
2 “उठो और कुम्हार के घर जाओ। वहाँ मैं तुम्हें अपना सन्देश दूँगा“
3 मैं कुम्हार के घर गया, जो चाक पर काम कर रहा था।
4 वह जो बरतन बना रहा था, जब वह उसके हाथ में बिगड़ जाता, तो वह उसकी मिट्टी से अपनी पसंद का दूसरा बरतन बनाता।
5 तब प्रभु की यह वाणी मुझे सुनाई पड़ी,
6 “इस्राएलियो! क्या मैं इस कुम्हार की तरह तुम्हारे साथ व्यवहार नहीं कर सकता?“ यह प्रभु की वाणी हैं। “इस्राएलियों! जैसे कुम्हार के हाथ में मिट्टी है, वैसे ही तुम भी मेरे हाथ में हो।
📕 सुसमाचार : संत मत्ती 13: 47 – 53
47 “फिर, स्वर्ग का राज्य समुद्र में डाले हुए जाल के सदृश है, जो हर तरह की मछलियाँ बटोर लाता है।
48 जाल के भर जाने पर मछुए उसे किनारे खींच लेते हैं। तब वे बैठ कर अच्छी मछलियाँ चुन-चुन कर बरतनों में जमा करते हैं और रद्दी मछलियाँ फेंक देते हैं।
49 संसार के अन्त में ऐसा ही होगा। स्वर्गदूत जा कर धर्मियों में से दुष्टों को अलग करेंगे
50 और उन्हें आग के कुण्ड में झोंक देंगे। वहाँ वे लोग रोयेंगे और दाँत पीसते रहेंगे।
51 “क्या तुम लोग ये सब बातें समझ गये?” शिष्यों ने उत्तर दिया, ” जी हाँ”
52 ईसा ने उन से कहा,”प्रत्येक शास्त्री, जो स्वर्ग के राज्य के विषय में शिक्षा पा चुका है, उस गृहस्थ के सदृश है, जो अपने ख़जाने से नयी और पुरानी चीज़ें निकालता है”।
53 इन दृष्टान्तों के समाप्त होने पर ईसा वहाँ से चले गये।