सामान्य – काल
तेरहवाँ सप्ताह
आज के संत: संत जुनिपेरो सेरा पुरोहित, धर्मसंघी, शहीद
📒पहला पाठ: आमोस: 2: 6-10, 13 -16
6 प्रभु-ईश्वर यह कहता हैः “इस्राएल के असंख्य अपराधों के कारण मैं उसे अवश्य ही दण्डित करूँगा। वे चाँदी के सिक्के से निर्दोष को बेचते है और जूतों की जोडी के दाम कंगाल को।
7 वे दरिद्रों का सिर पृथ्वी की धूल में रौंदते हैं और दीनों पर अत्याचार करते हैं। पिता और पुत्र, दोनों एक ही लौण्डी के पास जाते हैं और इस प्रकार मेरे पवित्र नाम को अपवित्र करते हैं।
8 वे गिरवी रखे कपडों का बिछा कर वेदियों के पास लेट जाते हैं और अपने ईश्वर के मन्दिर में जुरमाने के पैसे से खरीदी हुई मदिरा पीते हैं।
9 मैंने ही उनकी आंखों के सामने अमोरियों का सर्वनाश किया। वे देवदार की तरह ऊँचे और बलूत की तरह तगडे थे। फिर भी मैंने ऊपर उनके फलों को और नीचे उनकी जडों को नष्ट कर डाला।
10 मैंने ही तुम को मिस्र से निकालकर चालीस बरस तक मरुभूमि में तुम्हारा पथप्रदर्शन किया और तुम्हें अमोरियों का देश प्रदान किया।
13 देखो! पूलों से लदी हुई गाडी जिस तरह चीज़ों को रौंदती है, उसी तरह में तुम लोगों को कुचल दूँगा।
14 तब दौड़ कर भागने से कोई लाभ नहीं होगा। बलवान् की शक्ति व्यर्थ होगी। वीर योद्धा अपने प्राणों की रक्षा नहीं कर सकेगा।
15 धनुर्धारी नहीं टिकेगा, तेज दौडने वाला नहीं बच सकेगा और कोई भी घुडसवार अपनी जान बचाने में समर्थ नहीं होगा।
16 योद्धाओं में जो सब से शूरवीर है, वह उस दिन नंगा हो कर भाग जायेगा।” यह प्रभु की वाणी है।
📙सुसमाचार: संत मती: 8: 18 – 22
18 अपने को भीड़ से घिरा देख कर ईसा ने समुद्र के उस पार चलने का आदेश दिया।
19 उसी समय एक शास्त्री आ कर ईसा से बोला, ”गुरुवर!
आप जहाँ कहीं भी जायेंगे, मैं आपके पीछे-पीछे चलूँगा”।
20 ईसा ने उस से कहा, ”लोमड़ियों की अपनी माँदें हैं और आकाश के पक्षियों के अपने घोंसले, परन्तु मानव पुत्र के लिए सिर रखने को भी अपनी जगह नहीं है”।
21 शिष्यों में किसी ने उन से कहा, ”प्रभु! मुझे पहले अपने पिता को दफ़नाने के लिए जाने दीजिए”।
22 परन्तु ईसा ने उस से कहा, ”मेरे पीछे चले आओ; मुरदों को अपने मुरदे दफ़नाने दो’।