सामान्य – काल
आठवाँ सप्ताह
आज के संत : संत जस्टीन शहीद
📒 पहला पाठ: यूदस 17 : 20 – 25
20 किन्तु प्रिय भाइयो! आप अपने परमपावन विश्वास की नींव पर अपने जीवन का निर्माण करें। पवित्र आत्मा से प्रार्थना करते रहें।
21 ईश्वर के प्रेम में सुदृढ़ बने रहें और उस दिन की प्रतीक्षा करें, जब हमारे प्रभु ईसा मसीह की दया आप को अनन्त जीवन प्रदान करेगी।
22 कुछ लोगों का विश्वास दृढ़ नहीं है। उन पर दया करें
23 और उन्हें आग से निकाल कर उनकी रक्षा करें। आप कुछ लोगों पर दया करते समय सतर्क रहें और विषयवासना से दूषित उनके वस्त्र से भी घृणा करें।
24 जो आप को पाप से सुरक्षित रखने और आप को दोष-रहित और आनन्दित बना कर अपनी महिमा में प्रस्तुत करने में समर्थ है,
25 जो हमें हमारे प्रभु ईसा मसीह द्वारा मुक्ति प्रदान करता है, उसी एकमात्र इ्रश्वर को अनादि काल से, अभी और अनन्त काल तक महिमा, प्रताप, सामर्थ्य और अधिकार! आमेन!
📙 सुसमाचार : संत मारकुस 11: 27 – 33
27 वे फिर येरुसालेम आये। जब ईसा मन्दिर में टहल रहे थे, तो महायाजक, शास्त्री और नेता उनेक पास आ कर बोले,
28 “आप किस अधिकार से यह सब कर रहे हैं? किसने आप को यह सब करने का अधिकार दिया?“
29 ईसा ने उन्हें उत्तर दिया, “मैं भी आप लोगों से एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ। यदि आप मुझे इसका उत्तर देंगे, तो मैं भी आप को बता दूँगा कि मैं किस अधिकार से यह सब कर रहा हूँ।
30 बताइए, योहन का बपतिस्मा स्वर्ग का था अथवा मनुष्यों का?”
31 वे यह कहते हुए आपस में परामर्श करते थे- “यदि हम कहें, ’स्वर्ग का’, तो वह कहेंगे, ’तब आप लोगों ने उस पर विश्वास क्यों नहीं किया’।
32 यदि हम कहें, “मनुष्यों का, तो….।” वे जनता से डरते थे। क्योंकि सब योहन को नबी मानते थे।
33 इसलिए उन्होंने ईसा को उत्तर दिया, “हम नहीं जानते”। इस पर ईसा ने उन से कहा,“ तब मैं भी आप लोगों को नहीं बताऊँगा कि मैं किस अधिकार से यह सब कर रहा हूँ”।