सामान्य – काल
पहला सप्ताह
आज के संत: उर्ज के संत विलियम
📒 पहला पाठ: समूएल का पहला ग्रन्थ 3: 1-10,19- 20
1 युवक समूएल एली के निरीक्षण में प्रभु की सेवा करता था। उस समय प्रभु की वाणी बहुत कम सुनाई पड़ती थी और उसके दर्शन भी दुर्लभ थे।
2 किसी दिन ऐसा हुआ कि एली अपने कमरे में लेटा हुआ था उसकी आँखें इतनी कमज़ोर हो गयी थीं कि वह देख नहीं सकता था।
3 प्रभु का दीपवृक्ष उस समय तक बुझा नहीं था और समूएल प्रभु के मन्दिर में, जहाँ ईश्वर की मंजूषा रखी हुई थी, सो रहा था।
4 प्रभु ने समूएल को पुकारा। उसने उत्तर दिया, “मैं प्रस्तुत हूँ”
5 और एली के पास दौड़ कर कहा, “आपने मुझे बुलाया है, इसलिए आया हूँ।” एली ने कहा, “मैंने तुम को नहीं बुलाया। जा कर सो जाओ।” वह लौट कर लेट गया।
6 प्रभु ने फिर समूएल को पुकारा। उसने एली के पास जा कर कहा, “आपने मुझे बुलाया है, इसलिए आया हूँ।” एली ने उत्तर दिया, “बेटा! मैंने तुम को नहीं बुलाया। जा कर सो जाओ।”
7 समूएल प्रभु से परिचित नहीं था – प्रभु कभी उस से नहीं बोला था।
8 प्रभु ने तीसरी बार समूएल को पुकारा। वह उठ कर एली के पास गया और उसने कहा, “आपने मुझे बुलाया, इसलिए आया हूँ।” तब एली समझ गया कि प्रभु युवक को बुला रहा है।
9 एली ने समूएल से कहा, “जा कर सो जाओ। यदि तुम को फिर बुलाया जायेगा, तो यह कहना, ‘प्रभु! बोल तेरा सेवक सुन रहा है।’ समूएल गया और अपनी जगह लेट गया।
10 प्रभु उसके पास आया और पहले की तरह उसने पुकारा, “समूएल! समूएल!” समूएल ने उत्तर दिया, “बोल, तेरा सेवक सुन रहा है।”
19 समूएल बढ़ता गया, प्रभु उसके साथ रहा और उसने समूएल को जो वचन दिया थे, उन में से एक को भी मिट्टी में नहीं मिलने दिया
20 और दान से ले कर बएर-षेबा तक समस्त इस्राएल यह जान गया कि समूएल प्रभु का नबी प्रमाणित हो गया है।
📙 सुसमाचार: सन्त मारकुस 1: 29-39
29 वे सभागृह से निकल कर याकूब और योहन के साथ सीधे सिमोन और अन्द्रेयस के घर गये।
30 सिमोन की सास बुख़ार में पड़ी हुई थी। लोगों ने तुरन्त उसके विषय में उन्हें बताया।
31 ईसा उसके पास आये और उन्होंने हाथ पकड़ कर उसे उठाया। उसका बुख़ार जाता रहा और वह उन लोगों के सेवा-सत्कार में लग गयी।
32 सन्ध्या समय, सूरज डूबने के बाद, लोग सभी रोगियों और अपदूतग्रस्तों को उनके पास ले आये।
33 सारा नगर द्वार पर एकत्र हो गया।
34 ईसा ने नाना प्रकार की बीमारियों से पीड़ित बहुत-से रोगियों को चंगा किया और बहुत-से अपदूतों को निकाला। वे अपदूतों को बोलने से रोकते थे, क्योंकि वे जानते थे कि वह कौन हैं।
35 दूसरे दिन ईसा बहुत सबेरे उठ कर घर से निकले और किसी एकान्त स्थान जा कर प्रार्थना करते रहे।
36 सिमोन और उसके साथी उनकी खोज में निकले
37 और उन्हें पाते ही यह बोले, “सब लोग आप को खोज रहे हैं”।
38 ईसा ने उन्हें उत्तर दिया, “हम आसपास के कस्बों में चलें। मुझे वहाँ भी उपदेश देना है- इसीलिए तो आया हूँ।”
39 और वे उनके सभागृहों में उपदेश देते और अपदूतों को निकलाते हुए सारी गलीलिया में घूमते रहते थे।