सामान्य-काल
चौदहवाँ सप्ताह

आज के संत: सात धर्मी भाई शहीद

📒 पहला पाठ: होशेआ 10: 1-3, 7 – 8, 12

1 इस्राएल फैलने वाली दाखलता के सदृश है, जिस में बहुत-से फल लगते हैं। वह फलों की बढती हुई संख्या के अनुरूप अपनी वेदियों की संख्या भी बढाता रहता है। वह अपने देश की समृद्धि के अनुरूप अपने पूजा-स्तम्भ अलंकृत करता है।

2 उन लोगों का हृदय कपटपूर्ण है, इसलिए उन्हें अपने पापों का फल भोगना पडेगा। वह स्वयं उनकी वेदियाँ नष्ट करेगा। और उनके पूजा-स्तम्भ गिरा देगा।

3 तब वे कहेंगे, “हमारा कोई राजा नहीं है; क्योंकि जब हम प्रभु पर श्रद्धा नहीं रखते हैं, तो राजा हमारे लिए क्या कर सकता है?”

7 समारिया का राजा पानी के फेन की तरह लुप्त हो गया है।

8 आवेन के पहाडी पूजास्थान नष्ट किये गये, जहाँ इस्राएल पाप करता था उनकी वेदियों पर काँटे और ऊँटकटारे उगेंगे। तब लोग पहाडों से कहने लगेंगे, “हमें ढक लो” और पहाडियों से, “हम पर गिर पडो”।

12 तुम धार्मिकता बोओ, तो भक्ति लुनोगे। अपनी परती भूमि जोतो, क्योंकि समय आ गया है। प्रभु को तब तक खोजते रहो, जब तक वह आ कर धार्मिकता न बरसाये।

📙 सुसमाचार: संत मत्ती 10: 1-7

1 ईसा ने अपने बारह शिष्यों को अपने  पास बुला कर उन्हें अशुद्ध आत्माओं को निकालने तथा हर तरह की बीमारी और दुर्बलता दूर करने का अधिकार प्रदान किया।

2 बारह प्रेरितों के नाम इस प्रकार हैं- पहला, सिमोन, जो पेत्रुस कहलाता है, और उसका भाई अन्द्रेयस; ज़ेबेदी का पुत्र याकूब और उसका भाई योहन; 

3 फ़िलिप और बरथोलोमी; थोमस और नाकेदार मत्ती; अलफ़ाई का पुत्र याकूब और थद्देयुस;

4 सिमोन कनानी और यूदस इसकारियोती, जिसने ईसा को पकड़वाया।

5 ईसा ने इन बारहों को यह अनुदेश दे कर भेजा, “अन्य राष्ट्रों के यहाँ मत जाओ और समारियों के नगरों में प्रवेश मत करो,

6 बल्कि इस्राएल के घराने की खोयी हुई भेड़ों के यहाँ जाओ।

7 राह चलते यह उपदेश दिया करो- स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है।