सामान्य काल
वर्ष का उन्नीसवाँ रविवार
आज के संत : संत क्लारा कुँवारी, धर्मसंघ संस्थापिका
📙पहला पाठ: 1 राजाओं 19 : 4-8
4 और वह मरुभूमि में एक दिन का रास्ता तय कर एक झाड़ी के नीचे बैठ गया और यह कह कर मौत के लिए प्रार्थना करने लगा, “प्रभु! बहुत हुआ। मुझे उठा ले, क्योंकि मैं अपने पुरखों से अच्छा नहीं हूँ।”
5 वह झाड़ी के नीचे लेट कर सो गया। किन्तु एक स्वर्गदूत ने उसे जगा कर कहा, “उठिए और खाइए”।
6 उसने देखा कि उसके सिरहाने पकायी हुई रोटी और पानी की सुराही रखी हुई है। उसने खाया-पिया और वह फिर लेट गया।
7 किन्तु प्रभु के दूत ने फिर आ उसका स्पर्श किया और कहा, “उठिए और खाइए, नहीं तो रास्ता आपके लिए अधिक लम्बा हो जायेगा”।
8 उसने उठ कर खाया-पिया और वह उस भोजन के बल पर चालीस दिन और चालीस रात चल कर ईश्वर के पर्वत होरेब तक पहुँचा।
📘दूसरा पाठ: एफेसियों 4: 30-5 : 2
30 पवित्र आत्मा ने मुक्ति के दिन के लिए आप लोगों पर अपनी मोहर लगा दी है। आप उसे दुःख नहीं दें।
31 आप लोग सब प्रकार की कटुता, उत्तेजना, क्रोध, लड़ाई-झगड़ा, परनिन्दा और हर तरह की बुराई अपने बीच से दूर करें।
32 एक दूसरे के प्रति दयालु तथा सहृदय बनें। जिस तरह ईश्वर ने मसीह के कारण आप लोगों को क्षमा कर दिया, उसी तरह आप भी एक दूसरे को क्षमा करें।
1 आप लोग ईश्वर की प्रिय सन्तान हैं, इसलिए उसका अनुसरण करें
2 और प्रेम के मार्ग पर चलें, जिस तरह मसीह ने आप लोगों को प्यार किया और सुगन्धित भेंट तथा बलि के रूप में ईश्वर के प्रति अपने को हमारे लिए अर्पित कर दिया।
📕 सुसमाचार: संत योहन 6 : 41-51
41 ईसा ने कहा था, “स्वर्ग से उतरी हुई रोटी मैं हूँ”। इस पर यहूदी यह कहते हुए भुनभुनाते थे,
42 “क्या वह यूसुफ़ का बेटा ईसा नहीं है? हम इसके माँ-बाप को जानते हैं। तो यह कैसे कह सकता है- मैं स्वर्ग से उतरा हूँ?”
43 ईसा ने उन्हें उत्तर दिया, “आपस में मत भुनभुनाओ।
44 कोई मेरे पास तब तक नहीं आ सकता, जब तक कि पिता, जिसने मुझे भेजा, उसे आकर्षित नहीं करता। मैं उसे अन्तिम दिन पुनर्जीवित कर दूंगा।
45 नबियों ने लिखा है, वे सब-के-सब ईश्वर के शिक्षा पायेंगे। जो ईश्वर की शिक्षा सुनता और ग्रहण करता है, वह मेरे पास आता है।
46 “यह न समझो कि किसी ने पिता को देखा है; जो ईश्वर की ओर से आया है, उसी ने पिता को देखा है
47 मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ – जो विश्वास करता है, उसे अनन्त जीवन प्राप्त है।
48 जीवन की रोटी मैं हूँ।
49 तुम्हारे पूर्वजों ने मरुभूमि में मन्ना खाया, फिर भी वे मर गये।
50 मैं जिस रोटी के विषय में कहता हूँ, वह स्वर्ग से उतरती है और जो उसे खाता है, वह नहीं मरता।
51 स्वर्ग से उतरी हुई वह जीवन्त रोटी मैं हूँ। यदि कोई वह रोटी खायेगा, तो वह सदा जीवित रहेगा। जो रोटी में दूँगा, वह संसार के लिए अर्पित मेरा मांस है।”