पास्का – काल
छठाँ सप्ताह
आज के संत: लाकोनी के संत इग्नासियुस मठवासी
📒 पहला पाठ: प्रेरित – चरित 18: 23 – 18
23 पौलुस कुछ समय वहाँ रहा। तब फिर विदा हो कर उसने गलातिया और इसके बाद फ्रुगिया का भ्रमण करते हुए सब शिष्यों को ढारस बँधाया।
24 उस समय अपोल्लोस नामक यहूदी एफेसुस पहुँचा। उसका जन्म सिकन्दरिया में हुआ था। वह शक्तिशाली वक्ता और धर्मग्रन्थ का पण्डित था।
25 उसे प्रभु के मार्ग की शिक्षा मिली थी। वह उत्साह के साथा बोलता और ईसा के विषय में सही बातें सिखलाता था, यद्यपि वह केवल योहन के बपतिस्मा से परिचित था।
26 वह सभागृह में निस्संकोच बोलने लगा। प्रिसिल्ला और आक्विला उसकी शिक्षा सुनने के बाद उसे अपने साथ ले गये और उन्होंने अधिक विस्तार के साथ उसे ईश्वर का मार्ग समझाया।
27 जब अपोल्लोस ने अखै़या जाना चाहा, तो भाइयों ने उसकी सहायता की और शिष्यों के नाम पत्र दे कर निवेदन किया कि वे उसका स्वागत करें। अपोल्लोस के वहाँ पहुंचने के बाद उस से विश्वासियों को ईश्वर की कृपा से बहुत लाभ हुआ;
28 क्योंकि वह अकाट्य तर्कों से यहूदियों का खण्ड़न करता और सब के सामने धर्मग्रन्थ के आधार पर यह प्रमाणित करता था ही ईसा ही मसीह हैं।
📙 सुसमाचार : संत योहन 16 :23 – 28
23 उस दिन तुम मुझ से कोई प्रश्न नहीं करोगे। मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ – तुम पिता से जो कुछ माँगोगे वह तुम्हें मेरे नाम पर वही प्रदान करेगा।
24 अब तक तुमने मेरा नाम ले कर कुछ भी नहीं माँगा है। माँगो और तुम्हें मिल जायेगा, जिससे तुम्हारा आनन्द परिपूर्ण हो।
25 मैंने तुम लोगो से यह सब दृष्टांतो में कहा है। वह समय आ रहा है, जब मैं फिर तुम लेागों से दृष्टांतो में कुछ नहीं कहूँगा, बल्कि तुम्हें स्पष्ट शब्दों में पिता के विषय में बताऊँगा।
26 तुम उस दिन मेरा नाम लेकर प्रार्थना करोग। मैं नहीं कहता कि तुम्हारे लिये पिता से प्रार्थना करूँगा।
27 पिता तो स्वयं तुम्हें प्यार करता है, क्योंकि तुम मुझे प्यार करते और यह विश्वास करते हो कि मैं ईश्वर के यहाँ से आया हूँ।
28 मैं पिता के यहाँ से संसार में आया हूँ। अब मैं संसार को छोड कर पिता के पास जा रहा हूँ।”