सामान्य काल
उन्नीसवाँ सप्ताह
आज के संत : संत योहन्ना फ्राँसिस्का डी शंताल धर्मसंधिनी

📙पहला पाठ: एजेकिएल 1: 2-5, 24 – 28

2 राजा यहोयाकीम के निर्वासन के पंचम वर्ष, महीने के पाँचवें दिन,

3 खल्दैयियों के देश में, कबार नदी के तट पर याजक बूज़ी के पुत्र एजे़किएल को प्रभु की वाणी सुनाई पड़ी और वहाँ प्रभु का हाथ उस पर पड़ा।

4 मैंने देखा कि उत्तर की ओर से आँधी आ रही हैः प्रकाशमण्डल से घिरा हुआ एक विशाल मेघपुंज आ रहा है। उस में से आग झर रही थी और उसके चारों ओर उज्ज्वल प्रकाश था। उसकी ज्वालओं के मध्य भाग में काँसे-जैसी चमक थी।

5 आग में चार प्राणी दिखाई पड़ने लगे और उनका रूपरंग मनुष्यों-जैसा था;

24 मैंने उनके पंखों की आवाज़ सुनी। जब वे चलने लगे, तो वह आवाज़ प्रचण्ड जलप्रवाह की गड़-गड़ाहट, सर्वशक्तिमान् के गर्जन या सेना के पड़ाव के कोलाहल के समान थी। जब वे रुकते, तो वे अपने पंख नीचे कर देते थे।

25 उनके सिरों के ऊपर के वितान से एक वाणी सुनाई दे रही थी। जब वे रुकते, तो वे अपने पंख नीचे कर देते थे।

26 उनके सिरों के ऊपर वितान फैला हुआ था और उस पर सिंहासन-जैसा एक नीलमणि दिखाई देता था, जिस पर मनुष्य के आकार का कोई बैठा हुआ था।

27 कमर के ऊपर उसका शरीर अग्नि से चमकते हुए पीतल-जैसा था और कमर के नीचे उसका शरीर अग्नि के सदृश था, जिस में से प्रकाश फैल रहा था।

28 चारों ओर फैला हुआ प्रकाश वर्षा के दिनों में बादलों में दिखाई पड़ने वाले इन्द्रधनुष-जैसा था। प्रभु की महिमा इस प्रकार प्रकट हुई। यह देख कर मैं मुँह के बल गिर पड़ा। तब मुझे एक वाणी सुनाई पडी़।

📕 सुसमाचार: संत मत्ती 17: 22-27

22 जब वे गलीलिया में साथ-साथ घूमते थे, तो ईसा ने अपने शिष्यों से कहा, “मानव  पुत्र मनुष्यों के हवाले कर दिया जायेगा ।

23 वे उसे मार डालेंगे और वह तीसरे दिन जी उठेगा।” यह सुन कर शिष्यों को बहुत दु:ख हुआ।

24 जब वे कफ़रनाहूम आये थे, तो मन्दिर का कर उगाहने वालों ने पेत्रुस के पास आ कर पूछा, “क्या तुम्हारे गुरु मन्दिर का कर नहीं देते?”

25 उसने उत्तर दिया, “देते हैं”। जब पेत्रुस घर पहुँचा, तो उसके कुछ कहने से पहले ही ईसा ने पूछा, “सिमोन! तुम्हारा क्या विचार है? दुनिया के राजा किन लोगों से चुंगी या कर लेते हैं- अपने ही पुत्रों से या परायों से?”

26 पेत्रुस ने उत्तर दिया, “परायों से”। इस पर ईसा ने उस से कहा, “तब तो पुत्र कर से मुक्त हैं।

27 फिर भी हम उन लोगों को बुरा उदाहरण न दें; इसलिए तुम समुद्र के किनारे जा कर बंसी डालो। जो मछली पहले फँसेगी, उसे पकड़ लेना और उसका मुँह खोल देना। उस में तुम्हें एक सिक्का मिलेगा। उसे ले लेना और मेरे तथा अपने लिए उन को दे देना।”