सामान्य काल

दसवाँ सप्ताह
आज के संत :
पादुआ के संत अन्तोनी पुरोहित, धर्माचार्य

📒पहला पाठ: 1 राजाओं 18 : 41 – 46

41 एलियाह ने अहाब से कहा, “आप खाने-पीने जाइए, क्योंकि भारी वर्षा की आवाज़ आ रही है”।

42 अहाब खाने पीने गया और एलियाह करमेल पर्वत की चोटी पर चढ़ा। वहाँ वह भूमि पर झुक गया और घुटनों के बीच सिर गड़ाये बैठा रहा।

43 उसने अपने नौकर से कहा, “जा कर समुद्र की ओर देखो”। उसने जा कर देखा और कहा, “कुछ भी नहीं दिखाई पड़ रहा है”। एलियाह ने उसे सात बार देखने भेजा।

44 सातवीं बार नौकर ने कहा, “मनुष्य की हथेली के बराबर एक छोटा-सा बादल समुद्र पर से उठ रहा है”। एलियाह ने कहा, “अहाब के पास जा कर कहो कि वह रथ तैयार कर चला जाये, नहीं तो वर्षा उसे रोक रखेगी”।

45 इस बीच आकाश बादलों से काला हो गया, आँधी चलने लगी और भारी वर्षा हुई। अहाब रथ पर चढ़ कर यिज्ऱएल चला गया।

46 प्रभु की प्रेरणा से एलियाह कमर कस कर यिज्ऱएल तक अहाब के आगे-आगे दौड़ता रहा।

📙सुसमाचार : संत मत्ती 5: 20 – 26

20 मैं तुम लोगों से कहता हूँ- यदि तुम्हारी धार्मिकता शास्त्रियों और फ़रीसियों की धार्मिकता से गहरी नहीं हुई, तो तुम स्वर्गराज्य में प्रवेश नहीं करोगे।

21 “तुम लोगों ने सुना है कि पूर्वजों से कहा गया है- हत्या मत करो। यदि कोई हत्या करे, तो वह कचहरी में दण्ड के योग्य ठहराया जायेगा।

22 परन्तु मैं तुम से यह कहता हूँ- जो अपने भाई पर क्रोध करता है, वह कचहरी में दण्ड के योग्य ठहराया जायेगा। यदि वह अपने भाई से कहे, ’रे मूर्ख!’, तो वह महासभा में दण्ड के योग्य ठहराया जायेगा और यदि वह कहे, ’रे नास्तिक!’, तो वह नरक की आग के योग्य ठहराया जायेगा।

23 “जब तुम वेदी पर अपनी भेंट चढ़ा रहे हो और तुम्हें वहाँं याद आये कि मेरे भाई को मुझ से कोई शिकायत है,

24 तो अपनी भेंट वहीं वेदी के सामने छोड़ कर पहले अपने भाई से मेल करने जाओ और तब आ कर अपनी भेंट चढ़ाओ।

25 “कचहरी जाते समय रास्ते में ही अपने मुद्दई से समझौता कर लो। कहीं ऐसा न हो कि वह तुम्हें न्यायकर्ता के हवाले कर दे, न्यायकर्ता तुम्हें प्यादे के हवाले कर दे और प्यादा तुम्हें बन्दीगृह में डाल दे।

26 मैं तुम से यह कहता हूँ- जब तक कौड़ी-कौड़ी न चुका दोगे, तब तक वहाँ से नहीं निकल पाओगे।