पास्का – काल

तीसरा रविवार

आज की संत: शियेडाम की संत लिडविना

📒 पहला पाठ: प्रेरित – चरित 3 : 13 – 15, 17 – 19

13 इब्राहीम, इसहाक और याकूब के ईश्वर ने, हमारे पूर्वजों के ईश्वर ने अपने सेवक ईसा को महिमान्वित किया है। आप लोगों ने उन्हें पिलातुस के हवाले कर दिया और जब पिलातुस उन्हें छोड़ कर देने का निर्णय कर चुका था, तो आप लोगों ने उन्हें अस्वीकार किया।

14 आप लोगों ने सन्त तथा धर्मात्मा को अस्वीकार कर हत्यारे की रिहाई की माँग की।

15 जीवन के अधिपति को आप लोगों ने मार डाला; किन्तु ईश्वर ने उन्हें मृतकों में से जिलाया। हम इस बात के साक्षी हैं।

17 भाइयो! मैं जानता हूँ कि आप लोग, और आपके शासक भी, यह नहीं जानते थे कि वे क्या कर रहे हैं।

18 ईश्वर ने इस प्रकार अपना वह कथन पूरा किया जिसके अनुसार उसके मसीह को दुःख भोगना था और जिसे उसने सब नबियों के मुख से घोषित किया था।

19 आप लोग पश्चात्ताप करें और ईश्वर के पास लौट आयें, जिससे आपके पाप मिट जायें

📕 दूसरा पाठ : 1 योहन 2 : 1 – 5

1 बच्चो! मैं तुम लोगों को यह इसलिए लिख रहा हूँ कि तुम पाप न करो। किन्तु यदि कोई पाप करता, तो पिता के पास हमारे एक सहायक विद्यमान हैं, अर्थात् धर्मात्मा ईसा मसीह।

2 उन्होंने हमारे पापों के लिए प्रायश्चित किया है और न केवल हमारे पापों के लिए, बल्कि समस्त संसार के पापों के लिए भी।

3 यदि हम उनकी आज्ञाओं का पालन करेंगे, तो उस से हमें पता चलेगा कि हम उन्हें जानते हैं।

4 जो कहता है कि मैं उन्हें जानता हूँ, किन्तु उनकी आज्ञाओं का पालन नहीं करता वह झूठा है और उस में सच्चाई नहीं है।

5 परन्तु जो उनकी आज्ञाओं का पालन करता है, उस में ईश्वर का प्रेम परिपूर्णता तक पहुँचता है।

📙 सुसमाचार : सन्त लूकस 24 : 35 – 48

35 तब उन्होंने भी बताया कि रास्ते में क्या-क्या हुआ और उन्होंने ईसा को रोटी तोड़ते समय कैसे पहचान लिया।

36 वे इन सब घटनाओं पर बातचीत कर ही रहे थे कि ईसा उनके बीच आ कर खड़े हो गये। उन्होंने उन से कहा, “तुम्हें शान्ति मिले!”

37 परन्तु वे विस्मित और भयभीत हो कर यह समझ रहे थे कि वे कोई प्रेत देख रहे हैं।

38 ईसा ने उन से कहा, “तुम लोग घबराते क्यों हो? तुम्हारे मन में सन्देह क्यों होता है?

39 मेरे हाथ और मेरे पैर देखो- मैं ही हूँ। मुझे स्पर्श कर देख लो- प्रेत के मेरे-जैसा हाड़-मांस नहीं होता।”

40 उन्होंने यह कह कर उन को अपने हाथ और पैर दिखाये।

41 जब इस पर भी शिष्यों को आनन्द के मारे विश्वास नहीं हो रहा था और वे आश्चर्यचकित बने हुए थे, तो ईसा ने कहा, “क्या वहाँ तुम्हारे पास खाने को कुछ है?”

42 उन्होंने ईसा को भुनी मछली का एक टुकड़ा दिया।

43 उन्होंने उसे लिया और उनके सामने खाया।

44 ईसा ने उन से कहा, “मैंने तुम्हारे साथ रहते समय तुम लोगों से कहा था कि जो कुछ मूसा की संहिता में और नबियों में तथा भजनों में मेरे विषय में लिखा है, सब का पूरा हो जाना आवश्यक है”।

45 तब उन्होंने उनके मन का अन्धकार दूर करते हुए उन्हें धर्मग्रन्थ का मर्म समझाया

46 और उन से कहा, “ऐसा ही लिखा है कि मसीह दुःख भोगेंगे, तीसरे दिन मृतकों में से जी उठेंगे

47 और उनके नाम पर येरूसालेम से ले कर सभी राष्ट्रों को पापक्षमा के लिए पश्चात्ताप का उपदेश दिया जायेगा।

48 तुम इन बातों के साक्षी हो।