सामान्य काल
उन्नीसवाँ सप्ताह
आज के संत : संत मक्सिमिलियन मरिया कोल्बे पुरोहित, शहीद
📙पहला पाठ: एजेकिएल 9: 1-7; 10: 18-22
1 मैंने प्रभु को ऊँचे स्वर से यह कहते सुना, “जो नगर को दण्ड देने के लिये नियुक्त हैं, वे विनाश के शस्त्र हाथ पर लिये निकट आ रहे हैं“।
2 इस पर उत्तर के ऊपरी फाटक से हो कर छः व्यक्ति आ गये- नगर का विनाश करने के लिए उनके हाथ में शस्त्र थे। उन में से एक छालटी के कपड़े पहने था और उसके कमरबन्द से लेखनसामग्री की थैली लटक रही थी। वे आकर काँसे की वेदी के पास खड़े हो गये।
3 तब इस्राएल के ईश्वर की महिमा, जो केरूबों के ऊपर विराजमान थी, ऊपर उठ मन्दिर की देहली पर आ गयी। प्रभु ने छालटी के कपड़े पहने मनुष्य को, जिसके कमरबन्द से लेखन-सामग्री की थैली लटक रही थी, बुलाया
4 और उस से कहा, “नगर के आरपार जाओ, सारे येरूसालेम में घूम कर उन लोगों का पता लगाओ, जो वहाँ हो रहे वीभत्स कर्मों के कारण रोते और विलाप करते हैं और उनके मस्तक पर ताव अक्षर का चिह्न अंकित करो“।
5 मैंने उसे दूसरे से यह कहते सुना, “इसके पीछे-पीछे चलो और सभी निवासियों को दया किये बिना मारो। कोई बचने न पाये।
6 तुम बूढ़ों, नवयुवकों और नवयुवतियों को, दुधमुँहे बच्चों और स्त्रियों को दया किये बिना मारो। किन्तु जिन पर ताव अक्षर का चिह्न अंकित हैं, उन पर हाथ मत लगाओ। मन्दिर से शुरू करो।“ उन्होंने पहले मन्दिर के सामने के बूढ़ों को मार डाला।
7 तब उसने उन से कहा, “मन्दिर को अपवित्र करो और प्रांगण को लाशों से भर दो। इसके बाद नगर जा कर लोगों का वध कर दो।“ वे आगे बढ़कर नगर के लोगों का वध करने लगे।
18 तब प्रभु की महिमा मन्दिर की देहली से उठ कर केरूबों पर उतरी।
19 केरूब पंख फैला कर मेरे देखते ज़मीन के ऊपर उठे और पहिये भी उनके साथ चले गये। वे मन्दिर के पूर्वी द्वार के पास उतरे और इस्राएल के ईश्वर की महिमा उनके ऊपर विराजमान रही।
20 वे वही प्राणी थे, जिन्हें मैंने कबार नदी के पास रहते समय इस्राएल के ईश्वर के नीचे देखा था और अब मैं समझा कि वे केरूब थे।
21 प्रत्येक के चार मुख और प्रत्येक के चार पंख थे और उनके पंखों के नीचे मनुष्य के जैसे हाथ थे।
22 उनके मुख की वही आकृति थी, जिसे मैंने कबार के पास देखा था और प्रत्येक अपने सामने सीधे आगे बढ़ता जा रहा था।
📕 सुसमाचार: संत मत्ती 18: 15- 20
15 “यदि तुम्हारा भाई कोई अपराध करता है, तो जा कर उसे अकेले में समझाओ। यदि वह तुम्हारी बात मान जाता है, तो तुमने अपने भाई को बचा लिया।
16 यदि वह तुम्हारी बात नहीं मानता, तो और दो-एक व्यक्तियों को साथ ले जाओ ताकि दो या तीन गवाहों के सहारे सब कुछ प्रमाणित हो जाये।
17 यदि वह उनकी भी नहीं सुनता, तो कलीसिया को बता दो और यदि वह कलीसिया की भी नहीं सुनता, तो उसे ग़ैर-यहूदी और नाकेदार-जैसा समझो।
18 “मैं तुम से यह कहता हूँ- तुम लोग पृथ्वी पर जिसका निषेध करोगे, स्वर्ग में भी उसका निषेध रहेगा और पृथ्वी पर जिसकी अनुमति दोगे, स्वर्ग में भी उसकी अनुमति रहेगी।
19 “मैं तुम से यह भी कहता हूँ- यदि पृथ्वी पर तुम लोगों में दो व्यक्ति एकमत हो कर कुछ भी माँगेंगे, तो वह उन्हें मेरे स्वर्गिक पिता की ओर से निश्चय ही मिलेगा;
20 क्योंकि जहाँ दो या तीन मेरे नाम पर इकट्ठे होते हैं, वहाँ मैं उनके बीच उपस्थित रहता हूँ।”