सामान्य – काल
वर्ष का दूसरा रविवार

आज के संत: संत देवसहायम

📒 पहला पाठ: समूएल का पहला ग्रन्थ 3:3-10,19

3 प्रभु का दीपवृक्ष उस समय तक बुझा नहीं था और समूएल प्रभु के मन्दिर में, जहाँ ईश्वर की मंजूषा रखी हुई थी, सो रहा था।

4 प्रभु ने समूएल को पुकारा। उसने उत्तर दिया, “मैं प्रस्तुत हूँ”

5 और एली के पास दौड़ कर कहा, “आपने मुझे बुलाया है, इसलिए आया हूँ।” एली ने कहा, “मैंने तुम को नहीं बुलाया। जा कर सो जाओ।” वह लौट कर लेट गया।

6 प्रभु ने फिर समूएल को पुकारा। उसने एली के पास जा कर कहा, “आपने मुझे बुलाया है, इसलिए आया हूँ।” एली ने उत्तर दिया, “बेटा! मैंने तुम को नहीं बुलाया। जा कर सो जाओ।”

7 समूएल प्रभु से परिचित नहीं था – प्रभु कभी उस से नहीं बोला था।

8 प्रभु ने तीसरी बार समूएल को पुकारा। वह उठ कर एली के पास गया और उसने कहा, “आपने मुझे बुलाया, इसलिए आया हूँ।” तब एली समझ गया कि प्रभु युवक को बुला रहा है।

9 एली ने समूएल से कहा, “जा कर सो जाओ। यदि तुम को फिर बुलाया जायेगा, तो यह कहना, ‘प्रभु! बोल तेरा सेवक सुन रहा है।’ समूएल गया और अपनी जगह लेट गया।

10 प्रभु उसके पास आया और पहले की तरह उसने पुकारा, “समूएल! समूएल!” समूएल ने उत्तर दिया, “बोल, तेरा सेवक सुन रहा है।”

19 समूएल बढ़ता गया, प्रभु उसके साथ रहा और उसने समूएल को जो वचन दिया थे, उन में से एक को भी मिट्टी में नहीं मिलने दिया

📙 सुसमाचार : संत योहन 1:35-42

35 दूसरे दिन योहन फिर अपने दो शिष्यों के साथ वहीं था।

36 उसने ईसा को गुज़रते देखा और कहा, “देखो- ईश्वर का मेमना!’

37 दोनों शिष्य उसकी यह बात सुन कर ईसा के पीछे हो लिये।

38 ईसा ने मुड़ कर उन्हें अपने पीछे आते देखा और कहा, “क्या चाहते हो?” उन्होंने उत्तर दिया, “रब्बी! ” (अर्थात गुरुवर) आप कहाँ रहते हैं?”

39 ईसा ने उन से कहा, “आओ और देखो”। उन्होंने जा कर देखा कि वे कहाँ रहते हैं और उस दिन वे उनके साथ रहे। उस समय शाम के लगभग चार बजे थे।

40 जो योहन की बात सुन कर ईसा के पीछे हो लिय थे, उन दोनों में एक सिमोन पेत्रुस का भाई अन्द्रेयस था।

41 उसने प्रातः अपने भाई सिमोन से मिल कर कहा, “हमें मसीह (अर्थात् खीस्त) मिल गये हैं”

42 और वह उसे ईसा के पास ले गया। ईसा ने उसे देख कर कहा, “तुम योहन के पुत्र सिमोन हो। तुम केफस (अर्थात् पेत्रुस) कहलाओगे।”