सामान्य काल
अट्ठाईसवाँ सप्ताह
आज के संत: संत कलीस्तुस-1 पोप, शहीद
📙 पहला पाठ: गलातियों 4: 22-24, 26-27, 31-5:1
22 उस में लिखा है कि इब्राहीम के दो पुत्र थे – एक दासी से और एक स्वतन्त्र पत्नी से।
23 दासी के पुत्र का जन्म प्रकृति के अनुसार हुआ, किन्तु स्वतन्त्र पत्नी के पुत्र का जन्म प्रतिज्ञा के अनुसार।
24 इन बातों का एक लाक्षणिक अर्थ है। वे दो स्त्रियाँ दो विधानों की प्रतीक हैं। एक अर्थात् सीनई पर्वत का विधान दासता के लिए सन्तति उत्पन्न करता है – यह हागार है,
26 किन्तु दिव्य येरूसालेम स्वतन्त्र है। वही हमारी माता है;
27 क्योंकि लिखा है – वन्ध्या! तुमने कभी पुत्र नहीं जना, अब आनन्द मनाओ। तुमने प्रसव-पीड़ा का अनुभव नहीं किया, उल्लास के गीत गाओ; क्योंकि विवाहिता की अपेक्षा परित्यक्ता के अधिक पुत्र होंगे।
31 इसलिए भाइयो! हम दासी की नहीं, बल्कि स्वतन्त्र पत्नी की सन्तति हैं।
मसीह ने स्वतन्त्र बने रहने के लिए ही हमें स्वतन्त्र बनाया, इसलिए आप लोग दृढ़ रहें और फिर दासता के जुए में नहीं जुतें।
📕 सुसमाचार: संत लूकस 11: 29-32
29 भीड़-की-भीड़ उनके चारों ओर उमड़ रही थी और वे कहने लगे, “यह एक विधर्मी पीढ़ी है। यह एक चिह्न माँगती है, परन्तु नबी योनस के चिह्न को छोड़ इसे और कोई चिह्न नहीं दिया जायेगा।
30 जिस प्रकार योनस निनिवे-निवासियों के लिए एक चिह्न बन गया था, उसी प्रकार मानव पुत्र भी इस पीढ़ी के लिए एक चिह्न बन जायेगा।
31 न्याय के दिन दक्षिण की रानी इस पीढ़ी के लोगों के साथ जी उठेगी और इन्हें दोषी ठहरायेगी, क्योंकि वह सुलेमान की प्रज्ञा सुनने के लिए पृथ्वी के सीमान्तों से आयी थी, और देखो-यहाँ वह है, जो सुलेमान से भी महान् है!
32 न्याय के दिन निनिवे के लोग इस पीढ़ी के साथ जी उठेंगे और इसे दोषी ठहरायेंगे, क्योंकि उन्होंने योनस का उपदेश सुन कर पश्चात्ताप किया था, और देखो-यहाँ वह है, जो योनस से भी महान् है!