चालीसा – काल

राख-बुधवार के बाद

आज के संत: संत जोविता- संत फॉस्टीनुस

📒 पहला पाठ: विधि-विवरण 30: 15 – 20

15 “आज मैं तुम लोगों के सामने जीवन और मृत्यु, भलाई और बुराई दोनों रख रहा हूँ।

16 तुम्हारे प्रभु-ईश्वर की जो आज्ञाएँ मैं आज तुम्हें दे रहा हूँ, यदि तुम उनका पालन करोगे, यदि तुम अपने प्रभु-ईश्वर को प्यार करोगे, उसके मार्ग पर चलोगे और उसकी आज्ञाओं विधियों तथा नियमों का पालन करोगे, तो जीवित रहोगे, तुम्हारी संख्या बढ़ती जायेगी और जिस देश पर तुम अधिकार करने जा रहे हो, उस में प्रभु-ईश्वर तुम्हें आशीर्वाद प्रदान करेगा।

17 परन्तु यदि तुम्हारा मन भटक जायेगा, यदि तुम नहीं सुनोगे और अन्य देवताओं की आराधना तथा सेवा के प्रलोभन में पड़ जाओगे,

18 तो मैं आज तुम लोगों से कहे देता हूँ कि तुम अवश्य ही नष्ट हो जाओगे और यर्दन नदी पार कर जिस देश पर अधिकार करने जा रहो हो, वहाँ तुम बहुत समय तक नहीं रहने पाओगे।

19 मैं आज तुम लोगों के विरुद्ध स्वर्ग और पृथ्वी को साक्षी बनाता हूँ – मैं तुम्हारे सामने जीवन और मृत्यु, भलाई और बुराई रख रहा हूँ। तुम लोग जीवन को चुन लो, जिससे तुम और तुम्हारे वंशज जीवत रह सकें।

20 अपने प्रभु-ईश्वर को प्यार करो, उसकी बात मानो और उसकी सेवा करते रहो। इसी में तुम्हारा जीवन है और ऐसा करने से तुम बहुत समय तक उस देश में रह पाओगे, जिसे प्रभु ने शपथ खा कर तुम्हारे पूर्वजों – इब्राहीम, इसहाक और याकूब को देने की प्रतिज्ञा की है।”

📙 सुसमाचार : सन्त लूकस 9 : 22 – 25

22 उन्होंने अपने शिष्यों से कहा, “मानव पुत्र को बहुत दुःख उठाना होगा; नेताओं, महायाजकों और शास्त्रियों द्वारा ठुकराया जाना, मार डाला जाना और तीसरे दिन जी उठना होगा”।

23 इसके बाद ईसा ने सबों से कहा, “जो मेरा अनुसरण करना चाहता है, वह आत्मत्याग करे और प्रतिदिन अपना क्रूस उठा कर मेरे पीछे हो ले;

24 क्योंकि जो अपना जीवन सुरक्षित रखना चाहता है, वह उसे खो देता है, और जो मेरे कारण अपना जीवन खो देता है, वह उसे सुरक्षित रखेगा।

25 मनुष्य को इस से क्या लाभ, यदि वह सारा संसार तो प्राप्त कर ले, लेकिन अपना जीवन ही गँवा दे या अपना सर्वनाश कर ले?